बिहार की राजनीति एक बार फिर से गर्मा गई है, जहां पूर्व शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी (Jitan Ram Manjhi) पर खुलकर निशाना साधा है। मोतिहारी जिले के छौड़ादानो में आयोजित बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर जयंती समारोह के दौरान चंद्रशेखर के बयान ने सियासी हलकों में हलचल मचा दी है।
मांझी पर बरसे चंद्रशेखर
अपने भाषण में चंद्रशेखर ने मांझी को "पाखंडियों का बाप" कह कर संबोधित किया और उन्हें उन लोगों का साथ देने का आरोप लगाया, जिन्होंने उन्हें अतीत में जातिगत अपमान का शिकार बनाया था। चंद्रशेखर ने कहा, “जब मांझी मुख्यमंत्री थे, उन्होंने एक मंदिर में पूजा की थी, लेकिन उनके वहां से निकलने के बाद मंदिर को गंगाजल से शुद्ध किया गया। अब वही मांझी उन्हीं लोगों के साथ खड़े हैं, और उनके झूठे पत्तल उठा रहे हैं।”
इस दौरान उन्होंने मांझी की एक तस्वीर मंच से दिखाते हुए जनता से सवाल किया, “जो नेता जातिगत अपमान का सामना करने के बाद चुप रहा, अब वह किस सामाजिक मूल्य के साथ राजनीति कर रहा है?”
चंद्रशेखर के साथ मंच पर मौजूद पूर्व मंत्री डॉ. शमीम अहमद ने भी भाजपा और एनडीए पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, “जो लोग बाबा साहेब के नाम पर राजनीति करते हैं, वही आज संविधान को कमजोर करने में लगे हुए हैं। ये दिखावा बंद होना चाहिए।”
बिहार में जाति और सामाजिक न्याय हमेशा से राजनीति के केंद्र में रहे हैं। जैसे-जैसे चुनावी मौसम नजदीक आ रहा है, नेताओं की बयानबाज़ी और तेज़ होती जा रही है। चंद्रशेखर का यह बयान न केवल व्यक्तिगत हमले जैसा है, बल्कि यह जातिगत चेतना और सामाजिक न्याय की राजनीति को भी नए सिरे से बहस में ला देता है।
इस हमले पर जीतन राम मांझी की ओर से अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन राजनीतिक विश्लेषक मान रहे हैं कि यह बयान आने वाले समय में एनडीए और विपक्षी गठबंधन के बीच खिंचती लकीर को और गहरा कर सकता है।
विशेष रूप से दलित राजनीति में मांझी की भूमिका और उनके अतीत से जुड़े अनुभवों को लेकर चंद्रशेखर ने जो सवाल उठाए हैं, वे बिहार की राजनीति में नई विचारधारा की बहस को जन्म दे सकते हैं।
इस बयान के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या मांझी इस पर खुलकर जवाब देते हैं, या इसे नजरअंदाज करते हुए आगे बढ़ते हैं। लेकिन इतना तय है कि चंद्रशेखर का यह हमला एनडीए के भीतर और विपक्ष के खेमे में हलचल जरूर बढ़ा देगा।