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पटना , वाईबीएन डेस्क । बिहार की राजनीति में एक नया नाम चर्चा में है – चेतना झांब (Chetna Jhamb) । युवा उद्यमी, फिल्म एक्ट्रेस और यूथ आइकन के तौर पर पहचान बना चुकी चेतना ने अब राजनीति में कदम रखा है। उन्होंने प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) की पार्टी जन सुराज की सदस्यता ली है। शेखपुरा में आयोजित एक कार्यक्रम में चेतना ने पार्टी के झंडे तले अपनी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत की। इस मौके पर उन्होंने कहा कि मैंने राजनीति में प्रवेश जन सुराज के साथ किया है, लेकिन नेता बनने के लिए नहीं, बल्कि जनसेवक बनने के लिए।
जन सुराज में शामिल होने का एलान, बिहार के विकास का लिया संकल्प
चेतना झांब ने अपने फेसबुक पेज पर एक पोस्ट के जरिए इसकी जानकारी दी। उन्होंने लिखा कि 1 अगस्त को मैंने जन सुराज के साथ राजनीति में प्रवेश किया है। हमारा मकसद बिहार में विकास का नया अध्याय लिखना है। सही लोग, सही सोच और सामूहिक प्रयास से हम बदलाव लाएंगे।
प्रशांत किशोर की पार्टी में पहले से ही कई दिग्गज नेता शामिल हो चुके हैं, लेकिन चेतना का नाम इसलिए भी खास है क्योंकि वह एक सफल बिजनेसवुमन होने के साथ-साथ युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत भी हैं।
एयर होस्टेस से लेकर करोड़ों की कंपनियों की मालकिन तक का सफर
चेतना झांब की जिंदगी संघर्ष और सफलता की मिसाल है। उनका जन्म समस्तीपुर, बिहार में एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ। पटना सेंट्रल स्कूल से पढ़ाई करने के बाद उन्होंने समस्तीपुर विमेंस कॉलेज से ग्रेजुएशन किया।
करियर की शुरुआत में उन्होंने मात्र 3,000 रुपये की तनख्वाह वाली कॉल सेंटर की नौकरी की। इसके बाद उन्होंने एयर होस्टेस के तौर पर काम किया। लेकिन उनकी महत्वाकांक्षाएं और बड़ी थीं। एयर होस्टेस की नौकरी छोड़कर उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में प्रोडक्शन का काम शुरू किया।
आज चेतना तीन कंपनियों – स्कंदा मीडिया, स्कंदा इंडस्ट्रीज और स्कीबा सिंगापुर की मालकिन हैं। उनकी फार्मास्यूटिकल कंपनी के उत्पाद अमेरिका, रूस, थाइलैंड समेत कई देशों में बिकते हैं।
अब राजनीति में कदम, बिहार के लिए बड़े बदलाव का वादा
चेतना झांब ने अपने करियर में हर चुनौती को अवसर में बदला है। अब उनका लक्ष्य बिहार के विकास के लिए काम करना है। जन सुराज में शामिल होकर उन्होंने युवाओं और महिलाओं के सशक्तिकरण पर जोर दिया है।
उनका कहना है कि बिहार को नए नेतृत्व की जरूरत है, जो जमीन से जुड़ा हो और विकास की नई परिभाषा लिख सके। चेतना की इस पहल को बिहार के युवाओं का भरपूर समर्थन मिल रहा है।