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बिहार की राजनीति में एक बड़ा राजनीतिक समझौता होते हुए दिख रहा है। केंद्रीय मंत्री और लोजपा-रामविलास के प्रमुख Chirag Paswan ने अपने सहयोगी मंत्री Jitan Ram Manjhi के साथ चल रहे मनमुटाव को खत्म करने की पहल की है। पटना के राजभवन में राज्यपाल से मुलाकात के बाद पत्रकारों से बात करते हुए Chirag ने Manjhi को "पिता समान" बताते हुए उनके अनुभव से सीखने की बात कही।
"मांझी जी पिता तुल्य हैं," Chirag Paswan का भावुक बयान
मीडिया से बातचीत में Chirag Paswan ने कहा कि मांझी जी पिता तुल्य हैं। उनकी और मेरी उम्र में बहुत अंतर है। उनके अनुभव की तुलना मेरे साथ नहीं की जा सकती। मैं हमेशा उनसे मार्गदर्शन की अपेक्षा रखता हूं। संसद में जब हम साथ बैठते हैं, तो मैं उनसे सीखता हूं कि अगर कहीं मैं गलत जा रहा हूं तो मुझे सही राह दिखाएं। उनकी सभी बातें मेरे सिर आंखों पर हैं।
उन्होंने आगे कहा कि विपक्ष की यह कोशिश कभी सफल नहीं होगी कि Manjhi और उनके बयानों का इस्तेमाल कर NDA में दरार पैदा कर दें।
क्या था मनमुटाव का कारण?
आरा जनसभा विवाद: पिछले महीने लोजपा-रामविलास की आरा जनसभा के बाद Manjhi ने Chirag Paswan पर पैसे खर्च कर भीड़ जुटाने का आरोप लगाया था।
अनुभव पर टिप्पणी: दो दिन पहले Manjhi ने कहा था कि Chirag Paswan में "समझदारी और अनुभव की कमी" है।
दलित नेतृत्व को लेकर प्रतिस्पर्धा: दोनों नेता बिहार के दलित समुदाय, विशेषकर मुसहर और पासवान वोट बैंक पर प्रभाव के लिए जाने जाते हैं।
NDA के लिए जरुरी है कि चिराग-मांझी की सुलह!
बिहार में चुनावी साल है और अभी अगर एनडीए के दो सहयोगी दलों के नेता आपस में लड़ेंगे तो माहौल गड़बड़ होने की आशंका रहेगी। ऐसे में चिराग पासवान और जीतन राम मांझी के बीच की सुलह संयुक्त एनडीए के लिए जरुरी है। Chirag और Manjhi दोनों बिहार के प्रमुख दलित नेता हैं। उनके बीच एकता NDA के लिए दलित वोट बैंक को सुरक्षित करेगी। अक्टूबर-नवंबर में होने वाले चुनाव से पहले NDA की एकजुटता जरूरी है।