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चिराग पासवान का U-टर्न, अब नीतीश को 'सुशासन बाबू' बताया

चिराग पासवान ने नीतीश सरकार की आलोचना के बाद अचानक बदला रुख, अब कहा- "बिहार में सिर्फ नीतीश ही ला सकते हैं सुशासन"। जानें पूरा मामला।

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YBN Bihar Desk
Chirag Paswan meeting Nitish Kumar at CM House
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पटना , वाईबीएन डेस्क ।बिहार की राजनीति में एक बार फिर चिराग पासवान (Chirag Paswan) की बयानबाजी से सनसनी फैला दी है। केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष ने पहले नीतीश सरकार पर निशाना साधा था, लेकिन अब उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) को "सुशासन बाबू" कहकर संबोधित किया है। यह बदलाव राज्य की सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है।

चिराग ने कहा- बिहार में सिर्फ नीतीश ही ला सकते हैं सुशासन

हाजीपुर में एक कार्यक्रम के दौरान चिराग पासवान ने अपने पुराने बयानों पर सफाई देते हुए कहा कि मेरे शब्दों को बगावत नहीं, बल्कि बिहार के लोगों की चिंता समझा जाए। उन्होंने जोर देकर कहा कि बिहार में सुशासन सिर्फ नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही संभव है। यह बयान उस समय आया है जब पिछले महीने ही उन्होंने नीतीश सरकार पर कानून-व्यवस्था को लेकर सवाल उठाए थे।

6 जुलाई को चिराग ने मीडिया से बातचीत में कहा था कि मुझे दुख है कि मैं ऐसी सरकार का हिस्सा हूं जहां अपराध बेकाबू हैं। उनके इन बयानों से एनडीए में खलबली मच गई थी, और जदयू नेताओं ने उनकी जमकर आलोचना की थी।

चिराग के विवादित बयानों के बाद जदयू नेताओं ने उन पर जमकर हमला बोला था। जदयू एमएलसी खालिद अनवर ने कहा था कि चिराग को बिहार से नहीं, बल्कि सिर्फ अपनी कुर्सी से मतलब है। उन्होंने चिराग को एनडीए छोड़ने की सलाह भी दी थी। वहीं, हम पार्टी के प्रमुख जीतन राम मांझी ने भी चिराग को राजनीतिक तौर पर अनुभवहीन बताया था।

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बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले चिराग के बयानों को लेकर बीजेपी और जदयू के बीच मतभेद भी सामने आए थे। खबरें थीं कि बीजेपी चिराग के रवैये से नाराज है और एनडीए में उनकी भूमिका घट सकती है।

सीतामढ़ी कार्यक्रम से अनुपस्थिति ने बढ़ाई अटकलें

इस पूरे विवाद को और हवा तब मिली जब सीतामढ़ी में सीता मंदिर के शिलान्यास कार्यक्रम में चिराग पासवान अनुपस्थित रहे, जबकि अमित शाह और नीतीश कुमार वहां मौजूद थे। हालांकि, चिराग ने इसके लिए मौसम को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि यह विपक्ष द्वारा उछाला गया मुद्दा है।

अब माना जा रहा है कि चिराग पासवान का यह यू-टर्न एनडीए के भीतर हुए दबाव का नतीजा हो सकता है। बिहार चुनाव से पहले सहयोगी दलों के बीच एकजुटता दिखाना जरूरी है, और चिराग के ताजा बयान इसी रणनीति का हिस्सा लगते हैं। क्या वास्तव में चिराग और नीतीश कुमार के बीच सुलह हो गई है, या यह सिर्फ दिखावा है? आने वाले दिनों में इस सवाल का जवाब मिल सकता है।

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