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"कांग्रेस वाले PM मोदी को चोर कहते हैं लेकिन वे खुद चोर हैं" मिंता देवी के ससुर का बयान Viral | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । बिहार के सीवान की मिंता देवी को अब पूरा देश जान चुका है। अब मिंता देवी के ससुर तेज प्रताप सिंह ने पूरे मामले पर खुलकर साफ-साफ कहा कि "मिंता देवी की उम्र 35 साल है 124 साल नहीं। इसमें हमारी कोई गलती नहीं है। जिसने कार्ड बनाया उसने गलती की है।"
तेज प्रताप सिंह ने प्रियंका गांधी के इस कदम की आलोचना करते हुए कहा, "उन्होंने बहुत गलत किया है। कांग्रेस वाले पीएम मोदी को चोर कहते हैं, लेकिन वे खुद चोर हैं। उनका कार्ड सही होना चाहिए।"
तेज प्रताप सिंह ने यह भी बताया कि इस तरह की लापरवाही से पूरा परिवार परेशान है। उन्होंने चुनाव आयोग से अपनी गलती सुधारने की अपील भी की है। सवाल यह है कि आखिर एक व्यक्ति की उम्र में 89 साल का अंतर कैसे आ सकता है? क्या यह सिर्फ एक टाइपिंग की गलती है या इसके पीछे कुछ और?
यह बयान साफ तौर पर दिखाता है कि एक तरफ जहां राजनीति अपनी रोटी सेंकने की कोशिश कर रही है, वहीं दूसरी तरफ असली पीड़ित परिवार सिर्फ अपनी समस्या का समाधान चाहता है।
यह गलती इतनी बड़ी है कि इसने सिर्फ एक परिवार को परेशान नहीं किया, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में भी हलचल मचा दी है।
लेकिन इस गलती का सच क्या है और इसके पीछे की असली कहानी क्या है?
#WATCH | Siwan, Bihar: On 35-year-old Minta Devi, allegedly listed as 124 years old in the EC's voter list, her father-in-law, Tej Pratap Singh, says, "She is 35 years old and not 124 years old. This is not our fault. The one who made the card must have made the mistake. Only… https://t.co/k55K1biFYFpic.twitter.com/hr8TY2Yi95
— ANI (@ANI) August 14, 2025
प्रियंका गांधी ने की थी मिंता देवी की टी-शर्ट पहनकर प्रदर्शन
यह मामला तब और ज्यादा सुर्खियों में आया, जब कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने मिंता देवी के नाम वाली टी-शर्ट पहनकर प्रदर्शन किया। उन्होंने इस मुद्दे को लेकर सरकार और चुनाव आयोग पर निशाना साधा। हालांकि, मिंता देवी के परिवार को यह राजनीतिक दांव-पेंच पसंद नहीं आया।
सवाल जो अब भी कायम हैं
- क्या चुनाव आयोग ने इस मामले में कोई कार्रवाई की है?
- क्या मिंता देवी की उम्र को सही किया जाएगा?
- क्या इस तरह की और भी गलतियां वोटर लिस्ट में मौजूद हैं?
- क्या यह सिस्टम की कमजोरी को उजागर नहीं करता?
इस तरह की घटनाएं न सिर्फ चुनावी प्रक्रिया पर सवाल उठाती हैं, बल्कि यह भी बताती हैं कि भारत में डेटा मैनेजमेंट और रिकॉर्ड कीपिंग में कितनी खामियां हैं। मिंता देवी का मामला तो सामने आ गया, लेकिन ऐसे न जाने कितने और मामले होंगे जो सामने नहीं आ पाए हैं।
चुनाव आयोग को लेनी होगी जिम्मेदारी
चुनाव आयोग को इस मामले की गंभीरता को समझना होगा और इस तरह की गलतियों को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। यह सिर्फ एक व्यक्ति के वोटर कार्ड की बात नहीं है, बल्कि देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया की विश्वसनीयता का सवाल है।
आपका इस खबर पर क्या कहना है? क्या आपको लगता है कि यह सिर्फ एक मानवीय भूल है या इसके पीछे कुछ और भी है? नीचे कमेंट सेक्शन में अपनी राय जरूर दें।
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