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कांग्रेस कार्य समिति (CWC) की बैठक में अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने मतदाता सूचियों में कथित हेरफेर को लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया। पटना में हुई विस्तारित बैठक में उन्होंने कहा कि जब देश की लोकतांत्रिक नींव यानी चुनावी प्रक्रिया ही संदेह के घेरे में आ जाए, तो संविधान और लोकतंत्र की रक्षा के लिए आवाज उठाना अनिवार्य हो जाता है। खरगे ने सीधे तौर पर "वोट चोरी" का मुद्दा उठाते हुए कहा कि निर्वाचन आयोग की निष्पक्षता और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े हो चुके हैं।
खरगे ने इस मौके पर ऐतिहासिक संदर्भ भी जोड़ा। उन्होंने याद दिलाया कि 85 साल पहले कांग्रेस के रामगढ़ अधिवेशन से ही संविधान सभा का विचार सामने आया था। महात्मा गांधी, पंडित नेहरू, सरदार पटेल और बाबासाहेब आंबेडकर जैसे नेताओं की सोच और संविधान सभा के प्रयासों से ही देशवासियों को "एक व्यक्ति - एक वोट" का अधिकार मिला। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि यही सिद्धांत भारत की लोकतांत्रिक यात्रा की असली ताकत है और इसे कमजोर करने की कोई भी कोशिश लोकतंत्र पर सीधा हमला है।
उन्होंने आरोप लगाया कि बिहार की तरह अब पूरे देश में लाखों मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से हटाने की साजिश हो रही है। खरगे ने कहा कि विभिन्न राज्यों से ऐसे खुलासे सामने आए हैं, जिन पर चुनाव आयोग को जवाब देना चाहिए था, लेकिन आयोग विपक्ष से ही हलफनामा मांग रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष ने यह भी स्पष्ट किया कि पार्टी लोकतंत्र और संविधान की रक्षा के लिए हर स्तर पर संघर्ष करेगी।
बिहार को कांग्रेस ने अपनी इस लड़ाई का केंद्र क्यों बनाया, यह भी स्पष्ट है। रामगढ़ अधिवेशन से लेकर आज तक कांग्रेस ने बिहार से ही कई बार लोकतंत्र की रक्षा का संदेश दिया है। पार्टी का मानना है कि जिस प्रदेश ने लोकतांत्रिक परंपरा को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई, वहीं से लोकतंत्र बचाने का नया आंदोलन शुरू होना चाहिए।
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