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Explainer : बिहार में IAS की पत्नी का दर्द : 1998 की वो चिट्ठी जिसे पढ़कर आप आंसू नहीं रोक पाएंगे | यंग भारत न्यूज Photograph: (YBN)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । बिहार की एक IAS अधिकारी की पत्नी चंपा बिस्वास ने साल 1998 में लालू प्रसाद यादव के बेहद करीबी राजद नेता के बेटे पर दो साल तक बार-बार बलात्कार करने और परिवार को प्रताड़ित करने का भयानक आरोप लगाया। उनका दावा था कि इतना कुछ हुआ कि उन्हें नसबंदी करानी पड़ी। लोअर कोर्ट ने दोषी को 10 साल की सज़ा दी, पर 12 साल बाद हाई कोर्ट ने सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। यह मामला आज भी बिहार की राजनीति और न्याय व्यवस्था पर एक बड़ा सवाल है।
आज बिहार में चुनाव विधानसभा चुनाव चल रहा है साथ ही राजनीतिक सुचिता का दावा और बिहार को विकास के पथ पर ले जाने के कसीदे पढ़े जा रहे हैं। इस चुनाव में वही लालू प्रसाद यादव की पार्टी भी ताल ठोंक रही है। ऐसे में यदि आईएएस की पत्नी चंपा बिश्वास की दर्दभरी जुल्मों की कहानी की चर्चा न हो तो चुनाव बेमानी लगने लगता है।
यह कहानी सिर्फ एक रेप केस की नहीं है बल्कि यह दर्द भरी दास्तां सत्ता के रसूख और एक आम महिला की बेबसी की है जो साल 1990 के दशक में बिहार के राजनीतिक गलियारों में जंगल राज कहे जाने वाले दौर की गवाह बनी।
साल 1998 था। बिहार में राबड़ी देवी की सरकार थी। उधर, लालू प्रसाद यादव चारा घोटाले के चलते जेल की हवा खा चुके थे। राज्य की क़ानून-व्यवस्था सवालों के घेरे में थी। ऐसे में, जून महीने में एक IAS अधिकारी की पत्नी चंपा बिस्वास ने सीधे राज्यपाल सुंदर सिंह भंडारी को एक हिला देने वाली चिट्ठी लिखी।
चंपा बिस्वास के आरोप IAS की पत्नी ने क्या लिखा था?
चंपा बिस्वास के पत्र के मजमून ने सिर्फ बीजेपी को ही नहीं, बल्कि पूरे देश को चौंका दिया था। पत्र में आरोप था कि राजद नेता हेमलता यादव के बेटे मृत्युंजय यादव और उसके साथियों ने 2 साल तक बार-बार मेरा रेप किया। मेरी मां, ननद, दो नौकरानियों और भतीजी के साथ भी बलात्कार और मारपीट की गई। दोनों नौकरानियां और भतीजी गायब हैं, मुझे डर है कि उन्होंने आत्महत्या कर ली। मेरे पति IAS बीबी बिस्वास की हत्या की साजिश रची जा रही है और बच्चों की जान भी खतरे में है।
यह उस दौर की बात है जब सोशल मीडिया नहीं था, पर एक आईएएस की पत्नी का यह आरोप अख़बारों और टीवी की हेडलाइन बन गया।
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सियासी भूचाल: जब सुशील मोदी ने उठाया मामला
राज्यपाल को पत्र लिखे जाने के लगभग दो महीने बाद, 8 अगस्त 1998 को, बीजेपी के कद्दावर नेता सुशील मोदी ने पटना में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने चंपा की चिट्ठी पढ़कर सुनाई और लालू-राबड़ी सरकार को घेरते हुए कहा कि "प्रतिष्ठित और कद्दावर परिवारों से आने वाली महिलाएं भी राजद के कार्यकर्ताओं के आगे असहाय हो गई हैं।"
दिल्ली में, तत्कालीन पीएम अटल बिहारी वाजपेयी और गृहमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी तक यह मामला पहुंचा। राज्यपाल ने तुरंत केंद्र को पत्र लिखकर सीबीआई जांच की मांग कर दी। सरकार पर सीबीआई जांच का दबाव तेज़ी से बढ़ने लगा।
कौन था वो मृत्युंजय यादव जिस पर लालू यादव का हाथ था?
आरोपी मृत्युंजय यादव राजद की नेता हेमलता यादव का बेटा था। हेमलता यादव स्वयं सामाजिक कल्याण विभाग की चेयरपर्सन थीं, जिस विभाग में चंपा के पति बीबी बिस्वास 1982 बैच के IAS भी डायरेक्टर थे। दोनों पड़ोसी भी थे। सबसे दिलचस्प बात यह थी कि 27 साल का मृत्युंजय लालू यादव पर किताब लिख चुका था और सत्ता के गलियारों में उसका अच्छा-खासा रसूख था।
पति का डर, पत्नी की चुप्पी आखिर क्यों नहीं बताया IAS पति को?
चंपा और बीबी बिस्वास की शादी साल 1990 में हुई थी। चंपा ने अपने बयान में बताया कि सितंबर 1995 में जब वे पटना के बेली रोड स्थित सरकारी क्वार्टर में शिफ्ट हुए, तभी से यह भयानक सिलसिला शुरू हुआ।
पहला रेप: चंपा के मुताबिक, 7 सितंबर 1995 को पहली बार रेप तब हुआ, जब पति ड्यूटी पर थे और बच्चे स्कूल। पड़ोस में रहने वाली हेमलता और उनके बेटे मृत्युंजय ने षड्यंत्र रचा। डर की वो काली रात चंपा ने पुलिस को बताया, "मृत्युंजय ने मेरा रेप किया, मारा-पीटा... मैं चीखते-चीखते बेहोश हो गई।"
होश आने पर हेमलता यादव ने आकर धमकाया "किसी से मत कहना, हम तुम्हारी और तुम्हारे पति-बच्चों की हत्या करा देंगे। हमारे पास तुम्हारी न्यूड तस्वीरें हैं, उन्हें वायरल कर देंगे।" इस धमकी ने चंपा को खामोश कर दिया।
वह जानती थी कि उनके पति एक ईमानदार IAS अधिकारी हैं, पर सत्ता के रसूख के सामने वे भी असुरक्षित हैं।
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बार-बार का आतंक और नसबंदी तक का दर्द
चंपा का बयान रोंगटे खड़े कर देने वाला था। वह बताती हैं कि मृत्युंजय बार-बार घर आने लगा, जब भी पति और बच्चे घर पर नहीं होते, वह रेप करके चला जाता।
गर्भवती हुईं और जबरन कराया अबॉर्शन: इस दौरान बार बार रेप करने से वह गर्भवती हो गईं, जिसकी जानकारी मिलते ही मृत्युंजय ने जबरन उनका अबॉर्शन करवा दिया।
बच्चों के सामने भी नहीं बख्शा: चंपा ने कहा, "कई बार तो उसने बच्चों के सामने भी मेरा रेप किया।" इस डर से बच्चों के ट्यूशन टीचर ने भी घर आना बंद कर दिया।
सास से भी बदसलूकी: दिसंबर 1995 में जब चंपा की सास आई थीं, तो मृत्युंजय ने उनसे भी जबरदस्ती करने की कोशिश की।
पति को नशे की दवाइयां: चंपा को बाद में पता चला कि हेमलता और मृत्युंजय उनके पति के खाने में नशे की दवाइयां मिला रहे थे, ताकि उनकी तबीयत बिगड़े और वे विरोध न कर सकें।
ननद और भतीजी का रेप: चंपा ने यह भी दावा किया कि मृत्युंजय ने अपनी एक महिला सहयोगी की मदद से उनकी भतीजी कल्याणी का भी रेप किया और अपने दोस्तों से भी करवाया।
'इतना रेप हुआ कि नसबंदी करानी पड़ी': पुलिस बयान में यह दावा भी दर्ज है कि बार-बार गर्भधारण और अबॉर्शन के डर से, और मानसिक-शारीरिक प्रताड़ना से तंग आकर चंपा को नसबंदी Tubectomy करानी पड़ी।
जब IAS पति को चला सच का पता: लंबी चुप्पी के बाद, जुलाई 1997 में सच्चाई सामने आई। चंपा के पति, बीबी बिस्वास, ऑफिस से जल्दी घर आ गए। बार-बार दरवाजा खटखटाने और धक्का देने पर भी दरवाज़ा नहीं खुला। मृत्युंजय पिछले दरवाजे से भाग गया।
पति को शक था, पर बच्चों ने खोल दिया राज: कुछ लोगों ने उन्हें बताया था कि मृत्युंजय गलत कर रहा है। एक दिन उनके बच्चों ने आपस में बम बनाने की बात की और कहा कि वे मृत्युंजय को उड़ा देंगे।
यह सुनकर पति ने सख्ती से पूछा, तब चंपा ने उन्हें सारी कहानी बता दी। बीबी बिस्वास ने भी पुलिस को दिए बयान में कहा कि उनके ड्राइवर और पियून ने भी चंपा को मृत्युंजय के साथ आपत्तिजनक हालत में देखा था।
फर्दबयान में लालू प्रसाद यादव का जिक्र और वो चौंकाने वाला आरोप
IAS बीबी बिस्वास ने अपने फर्दबयान में एक चौंकाने वाला दावा किया था। उन्होंने कहा, "मुझसे पत्नी चंपा ने बताया कि लालू प्रसाद यादव ने भी उसके साथ रेप किया था।" हालांकि, इस आरोप को लेकर कोई सबूत नहीं पेश किया गया और कोर्ट ने सबूतों के अभाव में लालू यादव पर लगे आरोप खारिज कर दिए।
निचली अदालत का फैसला और मृत्युंजय को 10 साल की सज़ा
चंपा की शिकायत पर 22 अगस्त 1998 को हेमलता और मृत्युंजय के खिलाफ FIR दर्ज हुई। मृत्युंजय तुरंत गिरफ्तार हुआ, हेमलता यादव ने बाद में सरेंडर किया। लोअर कोर्ट में पुलिस ने 35 गवाह पेश किए। DNA सैंपल और कपड़ों की जांच में बलात्कार की पुष्टि हुई।
26 फरवरी 2002 को पटना की निचली अदालत ने दोनों को दोषी करार दिया। 6 मार्च 2002 को कोर्ट ने मृत्युंजय यादव को 10 साल जेल की सज़ा सुनाई। हेमलता यादव को तब तक सजा के बराबर जेल में रहने के चलते रिहा कर दिया गया।
चंपा बिस्वास इस फैसले से संतुष्ट नहीं थीं। उनका कहना था कि हेमलता भी बराबर की दोषी हैं, और मौत की सज़ा मिलनी चाहिए।
IAS पति की मौत: अगस्त 2002 में, सज़ा सुनाए जाने के कुछ महीने बाद, 53 साल की उम्र में बीबी बिस्वास की किडनी फेल होने से मृत्यु हो गई।
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हाई कोर्ट का फैसला और बरी होने की कहानी
लोअर कोर्ट के फैसले को हेमलता यादव और मृत्युंजय यदव ने पटना हाई कोर्ट में चुनौती दी। उनका तर्क था कि उनके बीच संबंध आपसी सहमति से बने थे। हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान जो हुआ, वह न्याय प्रणाली पर एक बड़ा धब्बा साबित हुआ।
गवाह पलट गए: चंपा बिस्वास की तरफ से पेश हुए कम से कम 6 गवाह अपने बयान से पलट गए।
पति की गवाही हुई कमज़ोर: मुख्य गवाह, पति बीबी बिस्वास, की मृत्यु हो चुकी थी। उनकी गवाही सुनी-सुनाई बातों पर आधारित थी hearsay evidence, जिसे हाई कोर्ट ने कमजोर माना।
बचाव पक्ष के बड़े सवाल जो कोर्ट ने माने: बचाव पक्ष ने चंपा के आरोपों पर ये मजबूत सवाल उठाए मेडिकल स्टोर पर रेप? चंपा ने जिस मेडिकल स्टोर के पीछे ले जाकर रेप की बात कही, वहां कोई कमरा ही नहीं था।
सहमति से संबंध?: अगर जबरदस्ती होती तो चंपा आरोपी मृत्युंजय के साथ बोटेनिकल गार्डन क्यों जातीं? वह उसे रेलवे स्टेशन छोड़ने क्यों जाती थी? बातचीत के रिकॉर्ड दोनों के बीच फोन पर बातचीत होती रहती थी। पति को तनाव क्यों नहीं दिखा? अगर मृत्युंजय बार-बार रेप करता था, तो उसका तनाव चंपा के चेहरे पर उसके पति ने कभी क्यों नहीं देखा?
विवादास्पद पत्र: चंपा का ह्यूमन राइट्स कमीशन को लिखा एक पत्र सामने आया जिसमें उसने कथित तौर पर लिखा था "मुझे संबंध अवैध बनाने की आदत लग गई थी" और "मेरा पति सीधा है, उसे मूर्ख बनाना आसान है।"
शादी का दबाव: चंपा ने कहा कि हेमलता यादव उस पर मृत्युंजय यादव से शादी करने का दबाव बना रही थी। अगर ऐसा होता तो वह अपने बेटे से रेप क्यों करवाती?
21 मई 2010 को, हाई कोर्ट ने सभी गवाहों और सबूतों का अध्ययन करने के बाद, संदिग्ध सबूतों के आधार पर हेमलता यादव और मृत्युंजय यादव दोनों को बरी कर दिया।
IAS पत्नी की लड़ाई न्याय या समझौता?
चंपा बिस्वास कांड आज भी देश के सबसे विवादास्पद और हाई-प्रोफाइल रेप मामलों में से एक है। लोअर कोर्ट ने जहां मृत्युंजय को दोषी माना था, वहीं हाई कोर्ट ने उसे बरी कर दिया।
क्या यह एक सच्ची पीड़िता की कहानी थी जिसे सत्ता और राजनीति के दबाव ने न्याय से वंचित कर दिया? या क्या यह एक IAS अधिकारी की पत्नी का षड्यंत्र था जिसने अपने पति को नौकरी से बचाने के लिए झूठे आरोप लगाए?
दोनों ही तरफ के तर्क मजबूत थे, पर न्याय की कसौटी पर सबूतों का अभाव रहा। इस मामले ने यह कटु सच्चाई उजागर की कि न्याय की लड़ाई तब कितनी मुश्किल हो जाती है जब एक तरफ सच्चाई की गुहार हो और दूसरी तरफ सियासी रसूख।
चंपा बिस्वास को बाद में झारखंड सरकार ने नौकरी की पेशकश की, जो इस बात का संकेत देती है कि एक सिविल सर्वेंट की पत्नी होने के नाते उनकी कहानी को पूरी तरह से खारिज नहीं किया जा सकता था, भले ही कोर्ट ने बरी कर दिया हो।
इनपुट-
https://indiankanoon.org/doc/25500795/
https://www.telegraphindia.com/india/laloo-writer-jailed-for-rape/cid/898250
https://www.indiatoday.in/magazine/states/story/19980824-ias-officers-wife-charges-laloo-prasad-yadavs-associate-with-rape-826927-1998-08-23
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