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पटना के गांधी मैदान में रविवार को जो दृश्य देखने को मिला, उसने बिहार की सियासी ज़मीन को झकझोर दिया। ‘वक्फ बचाओ, दस्तूर बचाओ’ सम्मेलन के तहत हजारों मुसलमानों की भीड़ ने एक साथ प्रदर्शन किया। यह विरोध कार्यक्रम, केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित वक्फ अधिनियम संशोधन बिल के खिलाफ था, जिसे प्रदर्शनकारियों ने संविधान और अल्पसंख्यक अधिकारों पर सीधा हमला करार दिया।
इस रैली की सबसे खास बात यह रही कि भारी भीड़ देखकर तेजस्वी यादव और पप्पू यादव जैसे बड़े विपक्षी नेता भी मौके पर पहुंचे और इस मुद्दे पर खुलकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा। इससे साफ है कि बिहार की राजनीति में अल्पसंख्यक मतदाता अब निर्णायक स्थिति में आ चुके हैं और आगामी विधानसभा चुनाव की दिशा तय करने वाले हैं।
ये देश किसी के बाप का नहीं है : तेजस्वी यादव
तेजस्वी यादव ने भीड़ को संबोधित करते हुए कहा कि ये देश किसी के बाप का नहीं है। हम किसी को मुसलमानों के अधिकार छीनने नहीं देंगे। तेजस्वी ने इस रैली में केवल सरकार की आलोचना नहीं की, बल्कि वोटर लिस्ट में छेड़छाड़ की आशंका भी जताई। उन्होंने कहा कि आपके नाम वोटर लिस्ट से काटे जा सकते हैं, सतर्क रहें।
पप्पू यादव का 'गीता-कुरान' वाला संदेश
पूर्णिया के सांसद पप्पू यादव ने कहा कि एक हाथ में गीता और कुरान, दूसरे में तिरंगा और संविधान तभी बचेगा हिंदुस्तान। पप्पू का यह बयान स्पष्ट रूप से नफ़रत के खिलाफ मोहब्बत का पैग़ाम देने वाला था। उन्होंने पीएम मोदी और केंद्र सरकार को सीधा संदेश दिया कि भारत नफ़रत से नहीं, मोहब्बत से चलेगा।
इस कांफ्रेंस में भाग लेने के लिए झारखंड, उड़ीसा और बिहार के विभिन्न जिलों से हजारों की संख्या में लोग पटना पहुंचे। गांधी मैदान गाड़ियों और लोगों से खचाखच भरा दिखा। इस आयोजन की अगुवाई इमारत-ए-शरिया और कई अन्य मुस्लिम सामाजिक संगठनों ने की, जो इसे धार्मिक और संवैधानिक अधिकारों की रक्षा की लड़ाई बता रहे हैं।
वक्फ बिल और इस तरह के आंदोलनों का असर केवल सड़कों तक नहीं रुकेगा। 2025 के विधानसभा चुनावों में यह आंदोलन बड़ी भूमिका निभा सकता है। तेजस्वी यादव और पप्पू यादव जैसे नेताओं की सक्रिय भागीदारी यह दर्शाती है कि मुस्लिम मतदाता फिर से राजनीतिक केंद्र में आ चुके हैं।