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IAS संजीव हंस को पटना हाईकोर्ट से राहत: ED केस में सशर्त जमानत

पटना हाईकोर्ट ने आईएएस संजीव हंस को ईडी के मनी लॉन्ड्रिंग केस में सशर्त जमानत दे दी है। अदालत ने कहा कि कोई ठोस साक्ष्य नहीं, हिरासत अनुचित है।

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YBN Bihar Desk
sanjeev hans patna high court

बिहार के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी संजीव हंस को मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार के आरोपों वाले मामले में पटना हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। न्यायमूर्ति चंद्र प्रकाश सिंह की एकलपीठ ने ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) द्वारा दर्ज मामले में उन्हें सशर्त जमानत दे दी। अदालत ने साफ कहा कि संजीव हंस देश नहीं छोड़ सकते और केस की सुनवाई के दौरान नियमित रूप से अदालत में उपस्थित रहेंगे। संजीव हंस लगभग एक वर्ष से बेऊर जेल में बंद हैं। 

हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि ईडी की जांच और दावे कई कानूनी खामियों और अधूरी प्रक्रिया पर आधारित हैं। हंस के वकील डॉ. फारुख खान ने दलील दी थी कि जिस रूपसपुर थाना कांड संख्या 18/2023 के आधार पर ईडी ने ईसीआईआर (ECIR) दर्ज की थी, वह केस अगस्त 2024 में अदालत द्वारा पहले ही रद्द किया जा चुका है। इसके बाद ईडी की कार्रवाई केवल विजिलेंस की प्राथमिकी पर निर्भर रह गई, जो अब तक प्रारंभिक जांच के चरण में है।

कोर्ट ने माना कि अब तक कोई ठोस साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया जिससे यह साबित हो कि संजीव हंस ने किसी अपराध से अर्जित धन का उपयोग किया या किसी अवैध लेनदेन में शामिल थे। अदालत ने टिप्पणी की कि “जब मूल प्राथमिकी ही रद्द हो चुकी है, तो उसके आधार पर दर्ज मनी लॉन्ड्रिंग केस कानूनी रूप से कमजोर हो जाता है।” इसी आधार पर न्यायालय ने कहा कि हंस को आगे हिरासत में रखना न्यायसंगत नहीं है।

संजीव हंस, जो बिहार सरकार में कई अहम पदों पर रह चुके हैं, को ईडी ने अक्टूबर 2024 में गिरफ्तार किया था। एजेंसी ने उन पर आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने और सरकारी ठेकों में आर्थिक लाभ लेने का आरोप लगाया था। जांच में दावा किया गया था कि उन्होंने अपने परिजनों और करीबी लोगों के नाम पर भी कई अचल संपत्तियां खरीदीं। हालांकि, हंस के वकील ने अदालत में कहा कि यह पूरा मामला राजनीतिक दबाव में दर्ज किया गया है और ईडी के पास कोई ठोस दस्तावेजी प्रमाण नहीं हैं।

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इसी मामले में पूर्व विधायक गुलाब यादव को भी ईडी ने गिरफ्तार किया था। उन्हें भी कुछ सप्ताह पहले पटना हाईकोर्ट से जमानत मिल चुकी है। अदालत ने उनके मामले में भी यह माना था कि जांच अपूर्ण है और अभियोजन पक्ष ठोस सबूत पेश नहीं कर पाया।

हाईकोर्ट ने संजीव हंस को राहत देते हुए कुछ शर्तें लगाई हैं जिसमें वे देश नहीं छोड़ेंगे, जांच एजेंसियों से पूरा सहयोग करेंगे और न तो सबूतों को नष्ट करेंगे, न ही गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश करेंगे।

IAS Sanjeev Hans
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