जम्मू-कश्मीर के पहलगाम आतंकी हमले पर बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में जनता दल यूनाइटेड (JDU) की गैरहाजिरी ने एक बार फिर राजनीतिक बहस को हवा दे दी है। केंद्र सरकार की ओर से बुलाई गई इस बैठक का मकसद एकजुटता दिखाना था, लेकिन विपक्षी दलों ने JDU की अनुपस्थिति को गंभीरता से लेते हुए तीखे सवाल खड़े किए हैं।
कांग्रेस ने JDU की गैरमौजूदगी पर उठाए सवाल
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पवन खेड़ा ने सोशल मीडिया के ज़रिए कटाक्ष करते हुए लिखा कि "प्रधानमंत्री की प्राथमिकता चुनाव है और जेडीयू की प्राथमिकता प्रधानमंत्री।"
लेकिन जेडीयू की सफाई भी उसी तीव्रता से सामने आई। पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन सिंह ने स्पष्ट किया कि पार्टी की अनुपस्थिति का कारण कोई राजनीतिक मतभेद नहीं, बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मधुबनी यात्रा थी, जहां सभी वरिष्ठ नेता व्यस्त थे। उन्होंने यह भी जोड़ा कि "केंद्र जो भी राष्ट्रहित में निर्णय लेगा, जदयू उसके साथ है।"
सवाल ये नहीं कि कोई बैठक क्यों मिस हुई, सवाल यह है कि ऐसे संवेदनशील मौके पर एक अहम सहयोगी दल की गैरमौजूदगी क्या संदेश देती है?
विशेष रूप से तब, जब प्रधानमंत्री खुद उसी दिन मंच से आतंकियों को ‘कल्पना से परे सजा’ देने की बात कह रहे हों।
एनडीए की राजनीति में जेडीयू की भूमिका हमेशा से थोड़ी अलग रही है — साथ रहकर भी स्वतंत्र सुर अपनाने की प्रवृत्ति। यह घटना उसी राजनीतिक व्यक्तित्व का प्रतिबिंब है या चुनावी व्यस्तता का साधारण परिणाम, यह समय बताएगा।