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बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) में सीट बंटवारे को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है। इस बीच, केंद्रीय मंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) के राष्ट्रीय संरक्षक जीतन राम मांझी ने अपने तेवर स्पष्ट करते हुए गठबंधन के भीतर की स्थिति को साफ कर दिया है। मांझी ने कहा कि उनकी पार्टी ने भाजपा के सामने अपनी सीटों की मांग रख दी है और अब फैसला भाजपा को करना है। उन्होंने यह भी दोहराया कि उनकी पार्टी किसी पद की दौड़ में नहीं है, बल्कि उद्देश्य केवल राजनीतिक मजबूती और राष्ट्रीय पहचान हासिल करना है।
मांझी ने कहा कि हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा की प्राथमिकता यह है कि उसे इतनी सीटें मिलें जिससे वह राष्ट्रीय स्तर की पार्टी के रूप में उभर सके। उनका मानना है कि संगठन की मजबूती किसी भी राजनीतिक पद से कहीं अधिक जरूरी है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पार्टी को न तो उपमुख्यमंत्री पद चाहिए और न किसी अन्य मंत्री पद की चाहत है। उनका लक्ष्य केवल यह है कि HAM एक स्थायी और प्रभावशाली राजनीतिक पहचान बना सके।
जब उनसे पूछा गया कि अगर भाजपा उनकी मांगें पूरी नहीं करती, तो उनकी अगली रणनीति क्या होगी, तो मांझी ने बिना किसी घुमाव के जवाब दिया कि ऐसी स्थिति में हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा बिहार विधानसभा चुनाव में भाग नहीं लेगी। उन्होंने कहा कि यह फैसला किसी दबाव या नाराजगी में नहीं, बल्कि सोच-समझकर लिया गया एक रणनीतिक कदम होगा। उनके मुताबिक, चुनाव में भाग लेना ही उद्देश्य नहीं है, बल्कि पार्टी की संगठनिक पहचान और कार्यकर्ताओं का मनोबल बनाए रखना अधिक महत्वपूर्ण है।
हालांकि, मांझी ने यह भी साफ किया कि उनका गठबंधन से अलग होने का कोई इरादा नहीं है। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी NDA में बनी रहेगी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व पर भरोसा रखेगी, लेकिन यदि सीटें उनकी अपेक्षा के अनुरूप नहीं दी गईं, तो HAM अपने उम्मीदवार मैदान में नहीं उतारेगी। उन्होंने कहा कि गठबंधन के भीतर रहकर भी कोई दल अपनी रणनीति तय कर सकता है और यह लोकतांत्रिक व्यवस्था की खूबसूरती है।
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