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लालू यादव का सत्ता में उदय: जब भाजपा संग मिलकर कांग्रेस को बिहार की सत्ता से किया बाहर

1990 में लालू प्रसाद यादव ने भाजपा और वामपंथी दलों के सहयोग से कांग्रेस को सत्ता से बाहर कर बिहार में नई राजनीति की शुरुआत की।

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YBN Bihar Desk
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बिहार की राजनीति में 1990 का विधानसभा चुनाव एक ऐतिहासिक मोड़ था। इस चुनाव ने न सिर्फ़ कांग्रेस के लंबे शासन को समाप्त किया बल्कि राज्य में एक नए राजनीतिक समीकरण की शुरुआत भी की। जनता दल के नेता लालू प्रसाद यादव ने भारतीय जनता पार्टी और वामपंथी दलों के सहयोग से पहली बार गैर-कांग्रेसी सरकार बनाई। यही वह क्षण था जब कांग्रेस अर्श से फर्श पर जा गिरी और बिहार की सत्ता में उसका दबदबा लगभग समाप्त हो गया।

आपातकाल के बाद कांग्रेस की दूसरी सबसे बड़ी हार

इस चुनाव में कांग्रेस को सबसे बड़ा झटका लगा। पिछली बार जहां उसे 196 सीटें मिली थीं, वहीं इस बार उसकी संख्या घटकर सिर्फ़ 71 पर आ गई। महज एक चुनाव में 125 सीटों की गिरावट कांग्रेस की सबसे बड़ी राजनीतिक हारों में गिनी जाती है। वोट प्रतिशत के लिहाज से भी कांग्रेस को नुकसान हुआ। उसे सिर्फ़ 24.78 फीसदी वोट मिले। यह 1977 के आपातकाल के बाद कांग्रेस की दूसरी सबसे बड़ी हार थी।

जनता दल ने पेश किया नया विकल्प

दूसरी ओर, जनता दल ने 122 सीटें जीतकर नया विकल्प पेश किया। इस जीत के पीछे 1989 के आम चुनावों में पैदा हुई वीपी सिंह लहर को अहम माना जाता है। बिहार में भी इस लहर ने कांग्रेस के राजीव गांधी प्रभाव को मात दी। लालू यादव के नेतृत्व में जनता दल एक मजबूत शक्ति के रूप में उभरा।

रघुनाथ झा के कारण लालू की राह आसान हुई

दिलचस्प यह रहा कि इस चुनाव में सरकार तो बन गई लेकिन मुख्यमंत्री पद को लेकर खींचतान शुरू हो गई। एक ओर लालू प्रसाद यादव थे, तो दूसरी ओर पार्टी के वरिष्ठ नेता रामसुंदर दास भी दावेदारी ठोक रहे थे। अंततः विधायकों के बीच मतदान कराया गया, जिसमें लालू यादव ने रामसुंदर दास और रघुनाथ झा को कड़ी टक्कर में हराकर जीत दर्ज की। माना जाता है कि रघुनाथ झा के वोट कटने से लालू यादव की राह आसान हो गई।

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इस ऐतिहासिक जीत ने लालू यादव को न सिर्फ़ मुख्यमंत्री की कुर्सी दिलाई, बल्कि उन्हें बिहार की राजनीति का चेहरा भी बना दिया। लालू के सत्ता में आते ही बिहार में सामाजिक समीकरण बदल गए और पिछड़े वर्गों की राजनीति ने नई दिशा पकड़ ली। वहीं, कांग्रेस की जो गिरावट इस चुनाव से शुरू हुई, उससे वह दशकों बाद भी उबर नहीं सकी।

इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने भी अहम उपस्थिति दर्ज कराई। उसने 39 सीटें जीतकर तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बनने का गौरव पाया। भाजपा ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी सीपीआई (23 सीटें) को पीछे छोड़ दिया। दक्षिण बिहार (अब झारखंड) में झारखंड मुक्ति मोर्चा भी एक नई ताकत के रूप में उभरा और 19 सीटें जीतकर अपनी पकड़ मजबूत की।

Lalu Yadav | BJP | Bihar Election

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