बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Election 2025) से पहले RJD सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) के लिए मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। 'जमीन के बदले नौकरी' (Land for Job Scam) मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा दायर सप्लीमेंट्री चार्जशीट पर शुक्रवार को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में सुनवाई हुई। विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने (Judge Vishal Gogne) ने चार्जशीट पर संज्ञान लेने का फैसला 3 जून तक के लिए सुरक्षित रख लिया है।
क्या है पूरा मामला?
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रेल मंत्री रहते हुए लालू यादव पर आरोप है कि उन्होंने 2004-2009 के दौरान रेलवे में नौकरियां देने के बदले उम्मीदवारों से जमीनें हड़प लीं।
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ये जमीनें बाद में लालू के परिवार या उनसे जुड़ी कंपनियों के नाम कर दी गईं।
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ED ने अगस्त 2023 में पहली चार्जशीट दाखिल की, जिसमें लालू, उनकी पत्नी राबड़ी देवी, बेटे तेजस्वी यादव, बेटी मीसा भारती और हेमा यादव को आरोपी बनाया गया।
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जनवरी 2024 में ED ने दूसरी चार्जशीट दाखिल कर अमित कत्याल (लालू परिवार के करीबी) को भी आरोपी बनाया।
राष्ट्रपति से मिली मंजूरी
ED के वकील मनीष जैन ने कोर्ट को बताया कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 8 मई 2025 को CRPC की धारा 197(1) (अब BNSS 2023 की धारा 218) के तहत लालू यादव के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी है। इससे पहले गृह मंत्रालय ने भी अभियोजन को हरी झंडी दे दी थी।
3 जून को क्या होगा?
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कोर्ट तय करेगा कि क्या सप्लीमेंट्री चार्जशीट पर संज्ञान लेकर ट्रायल शुरू किया जाए।
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अगर कोर्ट चार्जशीट को स्वीकार करता है, तो लालू और उनके परिवार पर आपराधिक मुकदमा चलाया जा सकता है।
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यह फैसला बिहार की राजनीति को प्रभावित कर सकता है, खासकर RJD की चुनावी रणनीति पर।
राजनीतिक प्रभाव: बिहार चुनाव पर असर?
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2025 के बिहार चुनाव से ठीक पहले यह केस RJD के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है।
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तेजस्वी यादव, जो RJD के प्रमुख चेहरे हैं, उन पर भी आरोप लगे हैं।
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भाजपा और JDU इस मामले को भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई के रूप में पेश कर सकती हैं।