बिहार की सियासत के दिग्गज और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव अब स्वस्थ हैं और दिल्ली एम्स से डिस्चार्ज हो चुके हैं। करीब 19 दिनों तक अस्पताल में भर्ती रहने के बाद, अब उनके पटना लौटने की तैयारियां शुरू हो गई हैं। पार्टी सूत्रों के अनुसार, वे 4 मई के बाद पटना लौट सकते हैं, जब उनका अंतिम रूटीन चेकअप सिंगापुर के डॉक्टरों द्वारा दिल्ली में किया जाएगा।
लालू यादव की तबीयत 2 अप्रैल को अचानक खराब हुई थी। उन्हें पटना के पारस अस्पताल में लाया गया था, जहां डॉक्टरों ने उनकी हालत को देखते हुए दिल्ली एम्स रेफर किया। जानकारी के मुताबिक, लालू यादव को कंधे और हाथ में गंभीर घाव था और ब्लड प्रेशर भी गिर गया था, जिससे उनकी हालत चिंताजनक हो गई थी। हालांकि अब वे पूरी तरह से स्वस्थ हैं।
जगदानंद सिंह से मुलाकात
लालू यादव की सेहत से जुड़ी खबरों के बीच एक अहम राजनीतिक संकेत भी सामने आया है। राजद प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने एम्स में लालू यादव से मुलाकात की है। यह मुलाकात इसलिए खास मानी जा रही है क्योंकि जगदानंद सिंह काफी समय से पार्टी गतिविधियों से दूरी बनाए हुए थे और पटना स्थित राजद कार्यालय भी नहीं जा रहे थे। कयास लगाए जा रहे थे कि वे तेजस्वी यादव की कार्यशैली और पार्टी के कुछ फैसलों से नाराज़ चल रहे हैं। ऐसे में उनकी लालू यादव से मुलाकात को सुलह का संकेत माना जा रहा है। यह भी अटकलें लगाई जा रही हैं कि लालू यादव की सक्रियता अब बढ़ेगी और वे खुद संगठन को फिर से एकजुट करने में जुटेंगे।
नेताओं की बढ़ती आवाजाही
एम्स में भर्ती रहने के दौरान लालू यादव से कई दिग्गज नेताओं ने मुलाकात की। पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस, कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अल्लावरु जैसे नेता भी उनसे हालचाल लेने पहुंचे थे। लेकिन जगदानंद की मौजूदगी इस कड़ी में सबसे अहम मानी जा रही है, क्योंकि यह राजद के आंतरिक समीकरणों को संतुलित करने की पहल मानी जा रही है।
चुनावी तैयारियों की तरफ बढ़ता लालू परिवार
राजद के अंदरूनी सूत्रों का मानना है कि जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं, लालू यादव एक बार फिर पर्दे के पीछे से सियासी शतरंज बिछा रहे हैं। तेजस्वी यादव भले पार्टी का चेहरा हैं, लेकिन रणनीतिक संतुलन और गठबंधन की बारीकियां अब भी लालू के अनुभव पर ही टिके हैं।
4 मई के बाद पटना में उनकी वापसी सिर्फ स्वास्थ्य के लिहाज़ से नहीं, बल्कि राजनीतिक सक्रियता के नए दौर की शुरुआत मानी जा रही है। बिहार की सियासत में उनके कदम एक बार फिर अहम मोड़ ला सकते हैं।