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बिहार की सियासत एक बार फिर गर्म हो चुकी है और इस बार चुनावी मैदान में बहस केवल जातीय समीकरणों या मुफ्त योजनाओं पर नहीं, बल्कि रोजगार और नौजवानों के भविष्य को लेकर हो रही है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के सरकारी आवास पर शनिवार को हुई महागठबंधन की अहम बैठक ने इस चुनाव की दिशा और दशा बदलने का संकेत दे दिया है।
करीब साढ़े पांच घंटे चली इस मैराथन बैठक में न केवल गठबंधन की कोऑर्डिनेशन कमेटी बल्कि मैनिफेस्टो, चुनाव प्रचार और सोशल मीडिया यूनिट तक ने अपनी-अपनी रणनीति साझा की। लेकिन सबसे अहम बात यह रही कि बेरोजगारी और नौकरी को मुख्य चुनावी मुद्दा बनाने का निर्णय लिया गया।
तेजस्वी यादव ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि बिहार के नौजवानों के पास डिग्री है, हुनर है, लेकिन अवसर नहीं। हम उन्हें केवल वादा नहीं, मौका देंगे। उन्होंने यह भी कहा कि इस बार महागठबंधन का मैनिफेस्टो काग़ज़ी नहीं, जमीनी हकीकतों से जुड़ा होगा जिसमें रोजगार, महिला सशक्तिकरण, MSME विकास, और उद्योग निवेश जैसे मुद्दे केंद्र में होंगे।
तेजस्वी ने नीतीश सरकार पर हमला करते हुए कहा कि बिहार में लॉ एंड ऑर्डर केवल पोस्टरों में अच्छा है, ज़मीन पर तो हालात बिगड़ते जा रहे हैं। नीतीश कुमार को अब खुद भी समझ आ गया है कि उनकी विदाई तय है, तभी तो आजकल जो कुछ हम कहते हैं, वही वो लागू कर रहे हैं।
तेजस्वी ने दावा किया कि जब उन्होंने 200 यूनिट बिजली मुफ्त देने की बात कही थी, तब सरकार ने उसकी कॉपी कर 100 यूनिट फ्री करने का ऐलान किया। उन्होंने सरकार को “कट-पेस्ट सरकार” कहा और आरोप लगाया कि बिहार सरकार की कोई अपनी सोच नहीं है, बल्कि तेजस्वी घोषणाओं की नकल है।
सोशल मीडिया को बनाया जाएगा हथियार
तेजस्वी यादव और कोऑर्डिनेशन कमेटी ने सभी सोशल मीडिया टीमों को निर्देश दिया है कि फेक न्यूज़ और भ्रामक प्रचार का ज़ोरदार जवाब सोशल मीडिया के हर प्लेटफॉर्म पर दिया जाए। साथ ही, वीडियो, ग्राफिक्स और भाषणों के ज़रिए युवाओं को सीधे जोड़ा जाए।
बैठक में यह भी तय किया गया कि फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब और X (पूर्व ट्विटर) जैसे प्लेटफॉर्म पर लोकल और रीजनल लैंग्वेज कंटेंट की बाढ़ लाई जाएगी ताकि हर युवा तक तेजस्वी का रोजगार विज़न पहुँच सके।