मुजफ्फरपुर में एक नाबालिग दलित लड़की के साथ बलात्कार और इलाज के दौरान मौत के मामले ने राज्य में भारी राजनीतिक भूचाल ला दिया है। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय के आवास का घेराव कर उन्हें "कलंक पांडेय" करार दिया। प्रदर्शनकारियों ने मंत्री के नामपट्ट पर गोबर लगाया और कालिख पोतकर उनके इस्तीफे की मांग की।
क्या हुआ मुजफ्फरपुर केस में?
मुजफ्फरपुर की एक नाबालिग दलित लड़की के साथ बलात्कार हुआ, जिसके बाद उसे एसकेएमसीएच (मुजफ्फरपुर) और फिर पीएमसीएच (पटना) में भर्ती किया गया। इलाज के दौरान ऑक्सीजन और बेड की कमी के कारण लड़की की मौत हो गई। मामले में लापरवाही के आरोपों के बाद स्वास्थ्य मंत्री ने जांच कमेटी बनाई, लेकिन विपक्ष ने इसे ढोंग बताया।
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कांग्रेस का आक्रोश, मांगा इस्तीफा
कांग्रेस नेता राजेश राठौर ने आरोप लगाया कि मंगल पांडेय की लापरवाही से लड़की की मौत हुई। उन पर हत्या का केस होना चाहिए। कार्यकर्ताओं ने "मंगल नहीं, कलंक पांडेय" के नारे लगाए। मंत्री के आवास पर कालिख पोतकर और गोबर लगाकर विरोध दर्ज किया। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए बल प्रयोग किया।
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सरकार का एक्शन, अधिकारी निलंबित
मामले के बढ़ते दबाव में सरकार ने पीएमसीएच के डॉ. अभिजीत को हटाया। एसकेएमसीएच की डॉ. विभा को सस्पेंड किया। आरोपी को गिरफ्तार कर स्पीडी ट्रायल का वादा किया।
राजभवन तक पहुंचा मामला
कांग्रेस ने राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान से मुलाकात कर न्याय की मांग की। विपक्ष का आरोप है कि बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई है और मंत्री को तुरंत इस्तीफा देना चाहिए।