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चुनावी मौसम में नीतीश का बड़ा दांव: सफाई कर्मियों के लिए होगा अलग आयोग, ट्रांसजेंडर को भी मिलेगा प्रतिनिधत्व

बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सफाई कर्मचारियों के लिए एक बड़ा फैसला लिया है। राज्य में सफाई कर्मचारी आयोग का गठन किया जाएगा, जिसमें ट्रांसजेंडर भी शामिल होंगे।

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Manoj Pratap
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पटना, वाईबीएन डेस्क। बिहार में विधानसभा चुनाव की सरगर्मी के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक ऐसी घोषणा की है जो न केवल राजनीतिक बल्कि सामाजिक समावेश की दृष्टि से भी प्रासंगिक मानी जा रही है। नीतीश सरकार ने राज्य में 'बिहार राज्य सफाई कर्मचारी आयोग' (Bihar Safai Karmchari Ayog) के गठन का निर्णय लिया है, जो सफाई कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा, शिकायतों के निवारण और कल्याण योजनाओं की निगरानी के लिए उत्तरदायी होगा।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर दी जानकारी

नीतीश कुमार ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' पर जानकारी साझा करते हुए कहा कि सफाई कर्मियों के हितों की रक्षा, पुनर्वास, सामाजिक उत्थान और योजनाओं की प्रभावशीलता को सुनिश्चित करने के लिए यह आयोग आवश्यक है। आयोग के सदस्यों में महिला और ट्रांसजेंडर का भी प्रतिनिधित्व होगा। यह पहल समाज के वंचित वर्गों को मुख्यधारा में लाने की दिशा में मील का पत्थर मानी जा रही है।

सात सदस्यीय होगा आयोग

सफाई कर्मचारी लंबे समय से अपने काम की असुरक्षा, कम वेतन, सामाजिक भेदभाव और योजनाओं से वंचित रहने की समस्याओं से जूझते रहे हैं। अब आयोग के गठन से उनकी आवाज सरकार तक पहुंचने का एक मंच मिलेगा। यह आयोग सात सदस्यीय होगा, जिसमें एक अध्यक्ष, एक उपाध्यक्ष और पांच अन्य सदस्य होंगे, जिनमें एक महिला या ट्रांसजेंडर व्यक्ति अनिवार्य रूप से शामिल होंगे। आयोग सफाई कर्मचारियों के लिए बनाई जाने वाली नीतियों की समीक्षा, सुझाव और क्रियान्वयन की निगरानी जैसे महत्वपूर्ण कार्य करेगा। आयोग नगर निकायों के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यरत सफाई कर्मियों के लिए भी नीतिगत सुझाव देगा।

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