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नीतीश कुमार ने दसवीं बार प्रदेश की कमान संभालते हुए जिस टीम का गठन किया है, वह राजनीतिक संकेतों से भरी हुई है। पूरे समारोह में सबसे ध्यान देने वाली बात यह रही कि जातीय संतुलन को मजबूत करने की कोशिश साफ नजर आयी। नई सरकार में एनडीए गठबंधन ने उन सभी समुदायों को प्रतिनिधित्व देने की रणनीति अपनायी है, जो बिहार की राजनीति की रीढ़ माने जाते हैं।
नई कैबिनेट में 12 नए चेहरे शामिल हुए और पिछली सरकार के 19 मंत्रियों को जगह नहीं मिली। यह बदलाव बताता है कि सत्ता की नई टीम में सामाजिक वर्गों को लेकर अलग तरह की प्राथमिकता तय की गई है। सवर्ण वर्ग से आठ नेताओं को कैबिनेट में जगह मिली है। राजपूत समाज को चार प्रतिनिधि मिले हैं। विधायक श्रेयसी सिंह, संजय कुमार सिंह, संजय सिंह टाइगर और लेशी सिंह इस वर्ग की आवाज बनकर सरकार में शामिल हुए हैं। इस चुनाव में राजपूत विधायकों की संख्या दूसरे वर्गों की तुलना में काफी अधिक रही और गठबंधन ने उसी आधार पर उन्हें पर्याप्त भूमिका दी।
दलित और महादलित समुदाय को कुल पांच स्थान मिले हैं। सुनील कुमार, अशोक चौधरी, लखेंद्र रौशन और संजय पासवान दलित वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं जबकि जीतन राम मांझी के बेटे संतोष कुमार सुमन मुसहर समाज से कैबिनेट का हिस्सा बने हैं। इस चुनाव में दलित विधायकों की संख्या काफी अच्छी रही और सरकार ने इस वर्ग का भरोसा मजबूत करने की कोशिश की है।
कुर्मी और कुशवाहा समुदाय को कुल मिलाकर छह स्थान मिले हैं। जदयू का आधार माना जाने वाला यह सामाजिक समूह बिहार की सत्ता-राजनीति में हमेशा प्रभावशाली रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद इसी वर्ग से आते हैं। उनके साथ सम्राट चौधरी, सुरेंद्र मेहता, दीपक प्रकाश और श्रवण कुमार को जिम्मेदारी दी गई है। यह वही समुदाय है जिसे साधने की कोशिश हर दल करता है।
वैश्य समाज को चार प्रतिनिधि मिले हैं और यह सभी नाम भाजपा कोटे से हैं। दिलीप जायसवाल, नारायण प्रसाद, प्रमोद कुमार और अरुण शंकर प्रसाद को मंत्री बनाकर भाजपा ने अपने पारंपरिक वोट आधार को मजबूत संदेश दिया है। भूमिहार से दो और ब्राह्मण समाज को तीन स्थान मिले हैं। विजय कुमार चौधरी और विजय सिन्हा भूमिहार हैं। जबकि मंगल पांडेय ब्राह्मण इस वर्ग का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। कायस्थ समाज से नितिन नबीन को दुबारा कैबिनेट में जगह दी गई है, जो लगातार अच्छा प्रदर्शन करते रहे हैं।
निषाद और यादव समुदाय को दो-दो पद मिले हैं। रमा निषाद और मदन सहनी मल्लाह समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं जबकि रामकृपाल यादव और विजेंद्र यादव अपने वर्ग में सरकार का हिस्सा बने हैं।
नई कैबिनेट में महिलाओं और मुस्लिम समुदाय को भी प्रतिनिधित्व दिया गया है। जमा खान को मंत्री बनाया गया है। महिलाओं में श्रेयसी सिंह, लेशी सिंह और रमा निषाद को स्थान मिला है। यह दर्शाता है कि सरकार महिला नेतृत्व को बढ़ावा देने के साथ अल्पसंख्यक समुदाय को भी राजनीतिक संरचना में शामिल करना चाहती है।
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