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सांसद पप्पू यादव। फाइल
पटना, वाईबीएन संवाददाता।
बिहार की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार की बढ़ती सक्रियता और हिंदी पट्टी में कांग्रेस को मजबूत करने की कवायद पर जन अधिकार पार्टी के प्रमुख व सांसद पप्पू यादव ने बड़ा बयान दिया है। पूर्णिया में पत्रकारों से बातचीत के दौरान उन्होंने कांग्रेस को विपक्षी गठबंधन का केंद्र बिंदु बताते हुए बीजेपी को हराने के लिए क्षेत्रीय दलों के एकजुट होने की जरूरत पर जोर दिया।
'आरजेडी खुश हो या न हो, फर्क नहीं पड़ता'
पप्पू यादव का यह बयान अपने आप में बड़ा संकेत देता है। जब उनसे कांग्रेस और आरजेडी के संबंधों पर सवाल किया गया तो उन्होंने दो टूक कहा, "आरजेडी खुश हो या न हो, हमें कोई फर्क नहीं पड़ता। सभी गठबंधन धर्म के तहत काम कर रहे हैं।" यह बयान स्पष्ट करता है कि बिहार की राजनीति में आरजेडी और कांग्रेस के बीच खींचतान जारी है और कांग्रेस अपने दम पर अपनी जमीन मजबूत करने की कोशिश में है।
'कांग्रेस अकेले लड़ेगी या नहीं, कहना मुश्किल'
कांग्रेस के आगामी चुनावी रणनीति पर सवाल करने पर पप्पू यादव ने कहा कि, "कांग्रेस अकेले लड़ेगी या गठबंधन करेगी, यह पार्टी नेतृत्व तय करेगा, लेकिन हमारा मकसद बीजेपी को हराना है।" यह बयान संकेत देता है कि बिहार में विपक्षी दलों के गठबंधन की गाड़ी अब कांग्रेस के इंजन पर दौड़ सकती है और क्षेत्रीय दलों को इससे तालमेल बिठाना होगा।
बीजेपी पर सीधा वार: 'गरीबों-वंचितों को किया नजरअंदाज'
बीजेपी पर हमला बोलते हुए पप्पू यादव ने कहा कि बीजेपी की नीतियां गरीबों, ओबीसी, एससी और एसटी विरोधी हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि, "बीजेपी के शासन में जनता को गुमराह किया जा रहा है। गरीब और वंचित समुदाय हाशिए पर चला गया है।" उन्होंने जोर देकर कहा कि अगर विपक्ष को बीजेपी से मुकाबला करना है तो एकजुट होना ही एकमात्र रास्ता है।
मोदी है तो मुमकिन है
पप्पू यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों पर भी तीखा हमला बोला और कहा कि, "'मोदी है तो मुमकिन है' का नारा अब पूरी तरह फेल हो चुका है।" उन्होंने सरकार की आर्थिक नीतियों की आलोचना करते हुए कहा कि रुपया गिरता जा रहा है, अमेरिका ने टैरिफ बढ़ा दिया, पड़ोसी देशों के साथ संबंध खराब हो चुके हैं, लेकिन मोदी सरकार खामोश बैठी है। bihar politics | politics | Indian politics
कांग्रेस और विपक्ष के लिए बड़ी चुनौती!
पप्पू यादव के इस बयान के कई राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं। जहां एक ओर कांग्रेस हिंदी पट्टी में अपनी पकड़ मजबूत करने में जुटी है, वहीं दूसरी ओर क्षेत्रीय दलों के बीच आपसी सामंजस्य को लेकर सवाल उठने लगे हैं। क्या कांग्रेस बिहार में आरजेडी के दबदबे को चुनौती देने की तैयारी कर रही है? और क्या क्षेत्रीय दलों का समर्थन कांग्रेस को मिलेगा? बिहार की राजनीति एक बार फिर करवट ले रही है और आने वाले दिनों में गठबंधन की सूरत कैसी बनेगी, यह देखना दिलचस्प होगा!