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बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले सीट-वितरण को लेकर महागठबंधन के भीतर एक नई जंग छिड़ गई है, और इसका केंद्र बिंदु बन गया है पशुपति कुमार पारस। पारस ने राजद की ओर से दिए गए तीन सीटों के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है और उनकी मांग कम से कम पांच सीटों की बनी हुई है। प्रस्ताव में अलौली विधानसभा सीट भी शामिल नहीं थी, जो पारस की रणनीति और रुख की जटिलता को दर्शाती है।
राजद ने महागठबंधन के भीतर सीट बंटवारे का लगभग प्रारूप तय कर लिया है। सूत्रों के अनुसार राजद को 130-135 सीटें मिल सकती हैं, कांग्रेस को 55-58 सीटें, वाम दलों को 30-32 सीटें और वीआईपी को 14-18 सीटें मिल सकती हैं। इसके अलावा, जेएमएम को 3 सीटें और पारस को 2 सीटें राजद के कोटे से दिए जाने की संभावना जताई जा रही है।
यह प्रस्ताव पारस की मांग से काफी पीछे है और यह संकेत देता है कि पारस महागठबंधन में अपनी हिस्सेदारी को लेकर निरंतर दबाव बना रहे हैं। इस बीच मुकेश सहनी (वीआईपी के प्रमुख) ने सीटों की संख्या कम किए जाने पर सहमति दी है, लेकिन उपमुख्यमंत्री पद की मांग पर वे अभी भी अड़े हुए हैं।
राजनीतिक पटल पर इसकी गूंज यह है कि पारस की भूमिका महागठबंधन के लिए नज़रअंदाज करना आसान नहीं होगा। यदि पारस अपनी स्थिति नहीं मजबूती से पका पाते हैं, तो वे महागठबंधन को चुनौती दे सकते हैं या अलग राह अपना सकते हैं।
महागठबंधन के अगले दौर की बैठक शाम 7 बजे तेजस्वी यादव के सरकारी आवास पर आयोजित की जाएगी, जहां यह तय होगा कि पारस को किस हद तक स्वीकार किया जाए और क्या महागठबंधन वास्तव में एकजुट रूप ले पाएगा।
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