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पटना, वाईबीएन डेस्क।। बिहार की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहचान को नया स्वरूप देने की दिशा में एक अहम कदम उठाते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पटना म्यूजियम (Patna Museum) के नवविकसित भवन का उद्घाटन किया। राजधानी के केंद्र में स्थित इस संग्रहालय को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित किया गया है।
ऐतिहासिकता से आधुनिकता की ओर पटना म्यूजियम का सफर
पटना म्यूजियम वर्षों से बिहार की प्राचीन सभ्यताओं, ऐतिहासिक मूर्तियों और दुर्लभ पुरातात्विक सामग्री का केंद्र रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उद्घाटन के बाद पूरे परिसर का गहन निरीक्षण किया। नवनिर्मित गैलरियों जैसे गंगा गैलरी, पाटली गैलरी और अत्याधुनिक प्रेक्षा गृह (auditorium) की सराहना की। इन गैलरियों में गंगा नदी से जुड़ी सांस्कृतिक विरासत, पाटलिपुत्र की गौरवगाथा और बिहार की विभिन्न ऐतिहासिक धरोहरों को नए तरीके से पेश किया गया है।
संस्कृति और पर्यटन को जोड़ने की नई पहल
इस समारोह के दौरान नीतीश कुमार ने बिहार म्यूजियम को पटना म्यूजियम से जोड़ने वाले कॉरिडोर का भी निरीक्षण किया। यह कॉरिडोर दोनों संग्रहालयों को एक साथ जोड़कर एक विशाल 'हेरिटेज ट्रेल' का रूप देगा, जहां लोग बिहार के अतीत से वर्तमान तक की यात्रा एक साथ कर सकेंगे। उन्होंने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिया कि निर्माण कार्य में गुणवत्ता और समयसीमा का विशेष ख्याल रखा जाए ताकि यह योजना जल्द पूरी हो सके।
राजनीति से इतर, संस्कृति की गूंज
इस मौके पर नीतीश कुमार ने राजनीतिक मंच से हटकर सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण और संवर्धन पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि यह संग्रहालय न केवल बिहार के इतिहास को संजोए हुए है, बल्कि यह आने वाली पीढ़ियों के लिए एक शैक्षणिक और प्रेरणादायक केंद्र के रूप में कार्य करेगा। उन्होंने कहा कि बिहार की पहचान केवल राजनीतिक हलचलों से नहीं, बल्कि इसकी गहराई में छिपी संस्कृति और सभ्यता से है, जिसे इन संग्रहालयों के माध्यम से नई पहचान मिल रही है।
पर्यटन, रोजगार और सांस्कृतिक जागरूकता को मिलेगा बल
पटना संग्रहालय का यह उन्नयन न केवल पर्यटकों के आकर्षण को बढ़ाएगा, बल्कि स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर भी उपलब्ध कराएगा। इस तरह के संग्रहालय केवल देखने की वस्तु नहीं, बल्कि संस्कृति और ज्ञान के केंद्र होते हैं, जहां परंपरा, तकनीक और शिक्षा का संगम होता है।