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पटना की राजनीति और अपराध जगत एक बार फिर सुर्खियों में है। दानापुर के राजद विधायक रीतलाल यादव और उनके सहयोगियों पर बिल्डरों से रंगदारी वसूली का गंभीर आरोप लगा है। पुलिस ने इस मामले में विशेष अदालत (एमपी-एमएलए कोर्ट) में चार्जशीट दाखिल कर दी है। चार्जशीट में रीतलाल यादव के अलावा उनके भाई पिंकू यादव, चिंकू उर्फ शैलेन्द्र यादव, श्रवण यादव और सुनील महाजन का नाम शामिल है।
10 अप्रैल को दर्ज कराई गई थी शिकायत
यह मामला खगौल थाने में दर्ज एफआईआर से जुड़ा है। बिल्डर राकेश रंजन ने 10 अप्रैल को शिकायत दर्ज कराई थी कि विधायक और उनके सहयोगी लगातार भयादोहन कर उनसे रंगदारी की मांग कर रहे हैं। शिकायत के बाद दानापुर एएसपी भानु प्रताप सिंह ने छापेमारी अभियान चलाया। इस दौरान 11 ठिकानों पर दबिश दी गई और 10.5 लाख रुपये नकद, करीब 77.5 लाख रुपये के ब्लैंक चेक, 17 चेकबुक, कई जमीन की डीड, पांच स्टांप, छह पेन ड्राइव और वॉकी-टॉकी बरामद किए गए। बरामदगी ने इस केस को और भी संगीन बना दिया।
जांच अधिकारी कुमार अभिनव की रिपोर्ट के आधार पर चार्जशीट दाखिल की गई है। इसमें साफ कहा गया है कि आरोपितों ने संगठित गिरोह बनाकर बिल्डरों और कारोबारियों से वसूली की। पुलिस का मानना है कि गिरोह के पास न सिर्फ नेटवर्क मजबूत था बल्कि आर्थिक दबदबा भी काफी था। यही कारण है कि शिकायत दर्ज होने तक अधिकांश लोग डर के साए में रहते थे।
मामले में दबाव बढ़ने के बाद विधायक रीतलाल यादव के साथ उनके भाई पिंकू यादव, चिंकू और श्रवण यादव ने 17 अप्रैल को दानापुर कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया। तीनों को न्यायिक हिरासत में लेकर बेऊर जेल भेजा गया। वहीं विधायक रीतलाल यादव इस समय भागलपुर जेल में बंद हैं। यह घटना न केवल बिहार की राजनीति में हलचल मचाने वाली है बल्कि यह सवाल भी खड़ा करती है कि संगठित अपराध और राजनीति का गठजोड़ आखिर कब टूटेगा।