जातीय जनगणना को लेकर देशभर में जहां नई राजनीतिक बहस छिड़ी है, वहीं बिहार की सियासत में इस मुद्दे ने पोस्टर वार का रूप ले लिया है। केंद्र सरकार के इस ऐलान के बाद से राजद और कांग्रेस ने इसे अपनी जीत बताने में कोई कसर नहीं छोड़ी। पटना की सड़कों पर लगे पोस्टरों में लालू यादव, तेजस्वी यादव और राहुल गांधी को इसका श्रेय दिया गया है। लेकिन इसी बीच केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह (Giriraj Singh) ने कांग्रेस (Congress) और विपक्ष पर तीखा हमला बोला है।
Giriraj Singh का हमला: "कांग्रेस को बहस करने की हिम्मत नहीं"
गिरिराज सिंह ने कहा कि अगर कांग्रेस में साहस है तो वह खुले मंच पर इस मुद्दे पर बहस करे। लालू यादव तो सोनिया गांधी के सामने कान पकड़कर उठक-बैठक करते थे। कांग्रेस ने जीवन भर आरक्षण का विरोध किया है। उन्होंने दावा किया कि जातीय जनगणना की मंजूरी देना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सामाजिक समरसता के प्रति संकल्प है, न कि किसी का दबाव।
नीतीश कुमार की मांग को माना गया: गिरिराज
गिरिराज सिंह ने यह भी कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पहले से जातीय जनगणना के पक्षधर थे, लेकिन जनगणना कराना केवल केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है। मोदी सरकार ने नीतीश कुमार की मांग को सही ठहराया और देशहित में फैसला लिया।
कांग्रेस-राजद की पोस्टरबाजी पर तंज
कांग्रेस और राजद द्वारा लगाए गए पोस्टरों पर गिरिराज सिंह ने कहा कि विपक्ष राजनीतिक रोटियां सेंकने की कोशिश कर रहा है। अब जबकि मोदी सरकार ने फैसला लिया है, तो कांग्रेस अपनी पिछली गलती छिपाकर क्रेडिट लेने की होड़ में है।
चुनाव से पहले BJP का मास्टर स्ट्रोक?
बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव की आहट है। ऐसे में जातीय जनगणना को लेकर मोदी सरकार का यह फैसला राजनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। यह कदम सामाजिक न्याय और पिछड़े वर्गों के बीच भाजपा की पकड़ मजबूत कर सकता है।