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बिहार की सियासत एक बार फिर गरमा गई है। जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर (पीके) ने जेडीयू के कद्दावर नेता और मंत्री अशोक चौधरी पर भ्रष्टाचार और बेनामी संपत्ति का गंभीर आरोप लगाया है। पीके ने दावा किया है कि अशोक चौधरी ने बीते दो साल में 200 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति पत्नी, बेटी, दामाद और समधन के नाम से खरीदी है।
प्रशांत किशोर ने कहा कि शांभवी चौधरी की सगाई और शादी के बीच पटना में करोड़ों की जमीनें खरीदी गईं, जिनका स्वामित्व कभी अशोक चौधरी की पत्नी के नाम पर, तो कभी दामाद सायन कुणाल और उनकी मां अनिता कुणाल या उनके ट्रस्ट के नाम पर दर्ज है। उन्होंने यह भी कहा कि मानव वैभव विकास ट्रस्ट, जिससे शांभवी की सास अनिता कुणाल जुड़ी हैं, की भूमिका सबसे ज्यादा संदिग्ध है।
पीके ने आरोप लगाया कि जिस ट्रस्ट के पास पहले एक करोड़ की संपत्ति नहीं थी, उसी ने शांभवी की सगाई के बाद करोड़ों की जमीनें खरीदीं। उन्होंने पूछा कि यह पैसा कहां से आया और इसके पीछे किसका हाथ है। पीके ने दावा किया कि उनके पास जमीनों की खरीद के सारे दस्तावेज मौजूद हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि चौधरी के पीए योगेंद्र दत्त के नाम पर बिक्रम में 34 लाख की जमीन खरीदी गई और बाद में यह जमीन शांभवी चौधरी के नाम कर दी गई।
इससे पहले भी अशोक चौधरी और पीके के बीच जुबानी जंग चलती रही है। जून में अशोक चौधरी ने प्रशांत किशोर के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया था। उस वक्त पीके ने आरोप लगाया था कि चौधरी ने बेटी शांभवी के लिए समस्तीपुर सीट से लोकसभा का टिकट पैसा देकर हासिल किया। शांभवी चौधरी इस समय चिराग पासवान की पार्टी लोजपा (आर) से सांसद हैं। दिलचस्प बात यह है कि पीके अक्सर चिराग पासवान की तारीफ भी करते रहे हैं।
प्रशांत किशोर ने केवल अशोक चौधरी ही नहीं बल्कि भाजपा नेताओं सम्राट चौधरी, दिलीप जायसवाल, मंगल पांडेय और संजय जायसवाल पर भी अलग-अलग मामलों में निशाना साधा। उन्होंने कहा कि बिहार की राजनीति में भ्रष्टाचार का नया प्रतीक अशोक चौधरी बन चुके हैं, जिन्हें नीतीश कुमार का दाहिना हाथ कहा जाता है।
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