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बिहार की राजनीति इन दिनों बेहद गरमाई हुई है और इसका केंद्र बने हुए हैं जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर। भाजपा और जेडीयू नेताओं पर लगातार हमले करने वाले पीके अब खुद अदालत के शिकंजे में फंस गए हैं। पटना की सीजेएम कोर्ट ने जेडीयू मंत्री अशोक चौधरी द्वारा दर्ज मानहानि केस में प्रशांत किशोर को 17 अक्टूबर को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश दिया है।
दरअसल, प्रशांत किशोर ने जून में अशोक चौधरी पर गंभीर आरोप लगाया था कि उन्होंने पैसा देकर अपनी बेटी शांभवी चौधरी के लिए लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) से लोकसभा चुनाव का टिकट खरीदा, जिसके बाद वह समस्तीपुर से सांसद बनीं। इस बयान को लेकर अशोक चौधरी ने पहले कानूनी नोटिस भेजा और फिर अदालत का दरवाजा खटखटाया। यही नहीं, पीके ने हाल ही में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में चौधरी परिवार की संपत्तियों पर भी सवाल उठाते हुए आरोप लगाया कि शांभवी की शादी के दौरान सिर्फ दो साल में 200 करोड़ की बेनामी संपत्ति इकट्ठी की गई और पटना में करोड़ों की जमीन खरीदी गई।
इन आरोपों से बौखलाए अशोक चौधरी ने पीके पर 100 करोड़ का नया मानहानि नोटिस भेज दिया है। उनका कहना है कि प्रशांत किशोर का हर दावा पूरी तरह झूठ है और उनकी बेटी शांभवी ने सभी संपत्तियां अपनी वैधानिक आय और संसाधनों से खरीदी हैं, जिसका विवरण चुनावी शपथपत्र में दर्ज है। चौधरी ने अपनी पत्नी नीता और समधन अनिता कुणाल के बीच कथित बैंकिंग लेन-देन के दावे को भी गलत बताया।
गौरतलब है कि यह पहला मौका नहीं है जब पीके पर मानहानि का केस दर्ज हुआ है। भाजपा सांसद और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने भी हाल ही में उन पर डिफेमेशन केस दायर किया है। प्रशांत किशोर लगातार एनडीए नेताओं सम्राट चौधरी, मंगल पांडेय, अशोक चौधरी, दिलीप जायसवाल और संजय जायसवाल पर आरोप लगाकर बिहार की सियासत में हलचल पैदा कर रहे हैं। अब देखना यह होगा कि 17 अक्टूबर को अदालत में पेशी के बाद यह राजनीतिक जंग किस दिशा में बढ़ती है।
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