बिहार में रेलवे की संपत्ति की लूट अब खुलकर सामने आ रही है। पूर्व मध्य रेलवे में वर्षों से चल रही लोहा और स्क्रैप की चोरी पर अब CBI की नज़र पड़ी है और इसका नतीजा है– ताबड़तोड़ छापेमारी, हिरासत और रेलकर्मियों में हड़कंप।
CBI की बड़ी कार्रवाई: स्क्रैप चोरी की कड़ी परतें खुलीं
गुरुवार को CBI और रेलवे विजिलेंस की संयुक्त टीमों ने मुजफ्फरपुर के नारायणपुर अनंत और गड़हरा में एकसाथ छापा मारा। कर्मचारियों के मोबाइल जब्त कर एक-एक से देर रात तक पूछताछ की गई। इससे पहले डेहरी ऑन सोन, पटना और हाजीपुर में हुई गिरफ्तारियों ने इस पूरे रैकेट की नींव हिला दी थी। CBI को यह अहम सुराग मिला कि रेलवे के इंजीनियरिंग विभाग के कुछ अधिकारी निजी ठेकेदारों के साथ मिलकर वर्षों से स्क्रैप को अवैध रूप से बेचते रहे। डेहरी में पकड़े गए सीनियर सेक्शन इंजीनियर राजकुमार सिंह और तीन अन्य ने पूछताछ में कई बड़े नाम उजागर किए।
CBI के रडार पर बड़ा नेटवर्क
सूत्रों के मुताबिक यह घोटाला महज स्क्रैप चोरी तक सीमित नहीं है। दानापुर से डेहरी तक रेलवे की करोड़ों की संपत्ति को ठेकेदारों और अफसरों ने आपस में बांट लिया। हाल में CBI ने एक IRSE अधिकारी और तीन अन्य को 32 लाख की रिश्वत लेते पकड़ा, जिससे इस रैकेट का दायरा और गहराता गया। CBI की कार्रवाई इतनी गोपनीय और सटीक थी कि कर्मचारियों को किसी को खबर तक नहीं लगी। वैगन डिपो को पूरी तरह सील कर दिया गया। दस्तावेज, लैपटॉप और अन्य इलेक्ट्रॉनिक सबूत जब्त किए गए हैं। CBI अब यह पता लगाने में जुटी है कि और कौन-कौन अफसर और ठेकेदार इस सिंडिकेट में शामिल हैं।
यह पहली बार नहीं है जब रेलवे में ऐसा घोटाला सामने आया हो। मार्च 2025 में रेलवे विभागीय परीक्षा पेपर लीक मामले में 26 अधिकारी गिरफ्तार हुए थे और 1.17 करोड़ रुपये कैश बरामद हुआ था। अक्टूबर 2024 में 15 करोड़ के कॉन्ट्रैक्ट घोटाले में दो अफसर और एक ठेकेदार फंसे थे।
इस बार CBI की जांच जितनी गहराई में जा रही है, उतना ही असर राजनीतिक गलियारों में भी महसूस किया जा रहा है। यदि इसमें किसी बड़े नेता के करीबी या रसूखदार अफसरों के नाम सामने आते हैं, तो यह बिहार की सियासत में भूचाल ला सकता है।