पटना यूनिवर्सिटी (Patna University), जो कभी बिहार की शैक्षणिक गरिमा का प्रतीक मानी जाती थी, अब आए दिन होने वाली हिंसक घटनाओं की वजह से चर्चा में है। ताजा मामला शनिवार देर रात का है जब यूनिवर्सिटी के दो प्रमुख हॉस्टल—कैवेंडिश और मिंटो—के छात्रों के बीच पुरानी रंजिश ने बमबाजी का रूप ले लिया। घटना पीरबहोर थाना क्षेत्र की है और इसने सुरक्षा व्यवस्था पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
दो दिन पहले हॉस्टलों में हुई थी मारपीट
दो दिन पहले यानी गुरुवार को इन दोनों हॉस्टलों के छात्रों में जमकर मारपीट हुई थी। झगड़ा खत्म होने की बजाय और बढ़ता गया और शनिवार रात करीब डेढ़ बजे छात्रों ने मिलकर चार बम फोड़े। घटनास्थल पर पहुंची पुलिस ने 13 छात्रों को हिरासत में लिया और बम बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाले बारूद, शीशे की बोतलें और तार जैसे मैटेरियल भी बरामद किए।
घटनास्थल पर पहुंची DSP दीक्षा ने पुष्टि की कि "बमबाजी की सूचना सही पाई गई है, और बम बनाने का सामान भी बरामद हुआ है। 13 छात्रों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है।" इनमें से एक छात्र, धीरज, जो औरंगाबाद का रहने वाला है, उसके दोस्त ने बताया कि वह एक गरीब परिवार से है और ट्यूशन पढ़ा कर अपनी पढ़ाई का खर्च उठाता है। वह केवल 28 अप्रैल से शुरू हो रहे सेमेस्टर 4 के CIA एग्जाम के लिए हॉस्टल में रुका हुआ था। पुलिस की छापेमारी में वह भी पकड़ लिया गया। अब उसके भविष्य पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं।
इस घटना ने पटना यूनिवर्सिटी में लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति पर एक बार फिर गंभीर प्रश्नचिह्न लगा दिया है। हॉस्टल, जहां छात्रों को सुरक्षित माहौल मिलना चाहिए, अब राजनीतिक गुटबाजी, बाहुबल और गैंगवार का मैदान बना हुआ है। यूनिवर्सिटी प्रशासन की निष्क्रियता और पुलिस की देर से कार्रवाई, दोनों ही इन हालातों को बढ़ावा दे रही हैं।