/young-bharat-news/media/media_files/2025/05/02/i0cvqlssUCjH4EKD1UGc.jpg)
बिहार के बहुचर्चितअलकतरा घोटालेमें मुख्य आरोपीकृष्ण कुमार केडियाको सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा झटका दिया है। कोर्ट ने उन्हेंतीन साल की सजा पूरी करने के लिए आत्मसमर्पण (सरेंडर)करने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी पटना हाईकोर्ट द्वारा पहले दी गई सजा को कानूनी रूप से सही ठहराती है, हालांकि उम्र को देखते हुए सजा की अवधि पांच साल से घटाकर तीन साल कर दी गई है।
क्या है अलकतरा घोटाला?
यह घोटाला1994 में सहरसामें सामने आया था, जिसमेंबड़ी मात्रा में अलकतरा (कोलतार) की आपूर्ति में फर्जीवाड़ाकिया गया था। सरकारी रिकॉर्ड में आपूर्ति दिखाई गई, लेकिन वास्तविक आपूर्ति नगण्य या नकली थी।
17 जनवरी 1994 कोसहरसा के कार्यपालक अभियंताने इस मामले की शिकायत दर्ज कराई थी। जांच में सामने आया कि करोड़ों रुपये के सरकारी फंड की बंदरबांट की गई थी।
मामले में अब तक क्या हुआ?
इस घोटाले में चार लोगों को आरोपी बनाया गया था:
- कृष्ण कुमार केडिया (मुख्य आरोपी)
- पांचू महतो (मृत्यु)
- भगवान प्रसाद पोद्दार (मृत्यु)
- महेश्वर प्रसाद (सरकारी गवाह बनकर माफ)
ट्रायल के दौरान दो आरोपियों की मौत हो गई, जिससे उनके खिलाफ केस बंद कर दिया गया। एक अन्य आरोपी महेश्वर प्रसाद को माफी देकर सरकारी गवाह बना लिया गया।
हाईकोर्ट ने पहले5 साल की सजासुनाई थी। कृष्ण कुमार केडिया ने अपनीउम्र और स्वास्थ्यका हवाला देकर सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट कीजस्टिस बी.आर. गवई और जस्टिस अगस्टिन जॉर्ज मसीह की खंडपीठने स्पष्ट कहा कि कानून सबके लिए समान है।
सुप्रीम कोर्ट ने सजा5 साल से घटाकर 3 सालजरूर की, लेकिन यह कहते हुएबेल बॉन्ड रद्दकर दिया कि अब उन्हेंशेष सजा पूरी करने के लिए जेल जाना होगा।
यदि वेस्वेच्छा से सरेंडर नहीं करते, तो संबंधितपुलिस अधिकारी उन्हें गिरफ्तारकर हिरासत में लें।
सरकार की ओर सेएडिशनल सॉलिसिटर जनरल एस.डी. संजयने केस की पैरवी की।वहीं अपीलार्थी की ओर सेवरिष्ठ अधिवक्ता अंजना प्रकाशने कोर्ट में दलीलें रखीं।लेकिन कोर्ट ने स्पष्ट किया कि लोकधन से जुड़ी धोखाधड़ी को हल्के में नहीं लिया जा सकता।