बिहार में एक बार फिर शराबबंदी कानून को लेकर सियासत गर्मा गई है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने ताड़ी को शराबबंदी के दायरे से बाहर करने का ऐलान करते हुए दलितों और पिछड़ों के अधिकारों की वकालत की है, तो वहीं डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी (Samrat Chaudhary) ने इस बयान पर करारा हमला बोला है। विवाद अब सिर्फ नशाबंदी पर नहीं, बल्कि जातिगत और राजनीतिक नैतिकता के मुद्दे पर पहुंच गया है।
तेजस्वी ने ताड़ी को बताया परंपरा, नहीं मानते नशा
पासी समाज के सम्मेलन में तेजस्वी यादव ने कहा कि ताड़ी कोई नशा नहीं है, यह एक पारंपरिक आजीविका का जरिया है, जिससे हजारों दलित-पिछड़े परिवार जुड़े हैं। उनका आरोप था कि नीतीश सरकार ने शराबबंदी के नाम पर इन गरीबों को जेलों में भर दिया। तेजस्वी ने भरोसा दिलाया कि अगर उनकी सरकार बनी तो ताड़ी को शराबबंदी से मुक्त किया जाएगा और इस पर लगे सभी केस वापस लिए जाएंगे। सम्मेलन में उन्होंने प्रतीकात्मक तौर पर लबनी (ताड़ी इकट्ठा करने वाला बर्तन) अपने कंधे पर उठाकर पासी समाज के साथ एकजुटता दिखाई।
बीजेपी का पलटवार: शराबबंदी कानून बनाने में राजद की भूमिका
डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने तेजस्वी पर निशाना साधते हुए सीधे लालू प्रसाद यादव को घेर लिया। उन्होंने कहा कि शराबबंदी कानून राजद की सरकार के समय भी लागू किया गया था और उस वक्त यही लोग सत्ता में थे। सम्राट का आरोप है कि राजद ने ही कानून बनाकर पासी समाज को निशाना बनाया और अब खुद को मसीहा बता रहे हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि "जब कानून बन रहा था तब लालू-तेजस्वी क्यों चुप थे? अब चुनाव नजदीक है तो दलितों की सहानुभूति पाने के लिए इस मुद्दे को उठा रहे हैं।"
नीरा उद्योग को बढ़ावा देगी सरकार
सम्राट चौधरी ने यह भी कहा कि बीजेपी शराबबंदी का पूरी तरह समर्थन करती है और नीतीश कुमार द्वारा लाए गए कानून को सख्ती से लागू किया जाएगा। हालांकि उन्होंने ताड़ी का विकल्प सुझाते हुए कहा कि नीरा उद्योग को प्रमोट किया जाएगा, ताकि पासी समाज को आजीविका का वैकल्पिक स्रोत मिल सके। उन्होंने कहा कि ग्रामीण विकास विभाग के माध्यम से नीरा को व्यवसायिक रूप से आगे बढ़ाया जाएगा।