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बिहार में मतदाता सूची (Voter List) को लेकर एक बार फिर विवाद छिड़ गया है। राजद नेता और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने चुनाव आयोग (Election Commission) पर निशाना साधते हुए एक विवादित बयान दिया है। उन्होंने कहा कि वे चुनाव आयोग के "सूत्रों" (Sources) को "मूत्र" (Urine) यानी बेकार और दुर्गंध फैलाने वाला मानते हैं। यह बयान उस समय आया जब मीडिया में खबरें आईं कि बिहार की वोटर लिस्ट में नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार (Nepal, Bangladesh, Myanmar) के कई नागरिकों के नाम शामिल हैं।
बिहार में मतदाता सूची का रिवीजन (Voter List Revision) चल रहा है, जिसके तहत अवैध रूप से रजिस्टर्ड मतदाताओं को हटाया जाना है। इसी बीच, कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि बिहार की वोटर लिस्ट में बड़ी संख्या में विदेशी नागरिकों (Foreign Nationals in Voter List) के नाम हैं, जिनके पास वोटर आईडी, आधार कार्ड और राशन कार्ड (Voter ID, Aadhaar Card, Ration Card) जैसे दस्तावेज मौजूद हैं।
तेजस्वी यादव ने इस मामले पर प्रेस कॉन्फ्रेंस (Press Conference) के दौरान कहा कि चुनाव आयोग खुद तो कुछ नहीं बोलता, बल्कि सूत्रों के हवाले से खबरें प्लांट करवाता है। क्या आयोग ने इस मामले में कोई आधिकारिक दस्तावेज (Official Document) जारी किया है? ये वही सूत्र हैं जो 'ऑपरेशन सिंदूर' (Operation Sindoor) के दौरान इस्लामाबाद, लाहौर और कराची पर कब्जा कर चुके थे। हम ऐसे सूत्रों को मूत्र समझते हैं – यानी बेकार और दुर्गंध फैलाने वाला।
चुनाव आयोग (Election Commission of India) ने इस मामले में स्पष्टीकरण देते हुए कहा है कि फाइनल वोटर लिस्ट (Final Voter List) से सभी अवैध नाम हटा दिए जाएंगे। हालांकि, तेजस्वी यादव ने आयोग की प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर एक फीसदी वोटर्स का भी नाम काटा गया, तो बिहार के 7 लाख 90 हजार मतदाता (Bihar Voters) प्रभावित होंगे। एक बूथ पर 10 नाम कटे तो 3200 वोटर लिस्ट से बाहर हो जाएंगे, जो चुनाव के नतीजों (Election Results) को बदल सकता है।