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तेजस्वी यादव की बड़ी समीक्षा: RJD के भीतर उठे सवाल, हार के पीछे ‘कैश गेम’ और बूथ मैनेजमेंट पर सबसे ज्यादा निशाना

तेजस्वी यादव ने बिहार चुनाव में RJD की अप्रत्याशित हार के बाद समीक्षा बैठक बुलाई, जिसमें वोट खरीदने, बूथ मैनेजमेंट और संगठनात्मक कमियों पर गंभीर सवाल उठे।

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YBN Bihar Desk
Tejashwi Yadav Meeting RJD Candidates

बिहार विधानसभा चुनाव में परिणामों ने सिर्फ RJD को ही नहीं, पूरे राज्य की राजनीति को हैरान कर दिया है। इन्हीं उलझे सवालों और बढ़ते आरोपों के बीच आज तेजस्वी यादव ने अपने पोलो रोड स्थित आवास पर एक लंबी समीक्षा बैठक की, जिसमें सिर्फ हार की वजहें नहीं, बल्कि संगठनात्मक कमियों से लेकर मैदान में हुए कथित अनियमितताओं तक सब कुछ खुलकर सामने आया।

बैठक में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं, पूर्व पदाधिकारियों, जीते-हारे उम्मीदवारों और प्रमुख रणनीतिकारों ने अपनी बात रखी। शुरू से ही माहौल गंभीर था, क्योंकि सभी जानते थे कि यह महज औपचारिक बैठक नहीं, बल्कि हार की गहराई तक जाकर कारणों की खोज है।

मटिहानी से RJD विधायक बोगो सिंह ने दावा किया कि चुनाव के दौरान “वोट खरीदने जैसी स्थिति” बनाई गई। उनका कहना था कि कई जगहों पर दस-दस हजार रुपये देकर जीविका दीदियों सहित महिलाओं का वोट प्रभावित किया गया। उनके इस बयान ने बैठक के भीतर ही नहीं, पूरे राजनीतिक गलियारे में नई हलचल पैदा कर दी।

इसके बाद विधायक आलोक मेहता ने सीधे तौर पर चुनावी प्रक्रिया पर प्रश्न उठाते हुए कहा कि यह नतीजा साधारण हार नहीं बल्कि एक अप्राकृतिक परिणाम है। उनका आरोप है कि बूथ स्तर पर जो धांधली हुई, वह सामान्य तरीके से संभव नहीं थी। कई क्षेत्रों से इस तरह की शिकायतें भी आईं कि स्थानीय प्रशासन ने मतदान प्रक्रिया के दौरान अनुचित दखल दिया।

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पूर्व विधायक अख्तरुल इस्लाम शाहीन ने आरोपों को और गंभीर रूप देते हुए कहा कि वोटिंग से कुछ दिन पहले ही लाखों खातों में दस-दस हजार रुपये भेजे गए। उनका दावा था कि कई जगहों पर लोगों से यह तक कहा गया कि यदि मौजूदा सरकार को दोबारा सत्ता में लाया गया, तो दो लाख रुपये और दिए जाएंगे। उन्होंने इसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया के साथ समझौता बताते हुए कहा कि मतदान से ठीक पहले बाहरी राज्यों से हजारों लोग बिहार पहुंचे, जिसने संदेह और बढ़ा दिया।

तेजस्वी यादव पूरी बैठक के दौरान शांत रहे, लेकिन उन्होंने सभी आरोप और फीडबैक विस्तार से नोट किए। सूत्रों के अनुसार अब हर हारने वाले उम्मीदवार से व्यक्तिगत बातचीत होगी। तेजस्वी यह समझना चाहते हैं कि पार्टी कहां कमजोर पड़ी- क्या बूथ मैनेजमेंट टूटा, क्या संगठन का ढांचा ठीक से काम नहीं कर पाया, या फिर चुनावी मुद्दे जनता तक नहीं पहुंचे। टिकट वितरण और स्थानीय नेताओं की नाराजगी भी इस समीक्षा का हिस्सा है, क्योंकि कई सीटों पर उम्मीदवार चयन को लेकर भीतरखाने में असंतोष पहले से मौजूद था।

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