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बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने एक बार फिर राज्य में मतदाता सूची (Voter List) के संशोधन को लेकर बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है। उन्होंने सीधे तौर पर भाजपा सरकार और चुनाव आयोग पर मतदाताओं के अधिकारों को कुचलने का आरोप लगाते हुए कहा कि यह लोकतंत्र को कमजोर करने की साजिश है।
"नाम हटाने की प्रक्रिया में छुपी है सियासी साजिश"
तेजस्वी यादव ने सोशल मीडिया पर पोस्ट के जरिए कहा कि बिहार में चल रहे विशेष मतदाता पुनरीक्षण अभियान (Special Summary Revision of Voters) के तहत बड़े पैमाने पर गरीबों, अल्पसंख्यकों और दलितों के नाम मतदाता सूची से हटाए जा रहे हैं। उन्होंने इसे संवैधानिक अधिकारों पर हमला बताया और कहा कि यह प्रक्रिया सरकारी योजनाओं से लोगों को वंचित करने की रणनीति का हिस्सा है।
तेजस्वी यादव ने कहा कि पहले वोटर लिस्ट से नाम काटा जाएगा, फिर राशन कार्ड, आधार कार्ड और सरकारी लाभों से बाहर कर दिया जाएगा। यह सिर्फ वोट नहीं, बल्कि लोगों की पहचान मिटाने की साजिश है।
बिहार चुनाव आयोग के अनुसार, 2025 की विशेष पुनरीक्षण प्रक्रिया में अब तक लाखों नामों को डुप्लीकेट, मृत या अयोग्य घोषित कर हटाया जा चुका है। हालांकि, विपक्षी दलों का दावा है कि इसमें जानबूझकर गलत तरीके से वोटर आईडी निरस्त की जा रही है ताकि चुनावी नतीजों को प्रभावित किया जा सके।
तेजस्वी यादव ने घोषणा की है कि वह इस मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) तक ले जाएंगे। साथ ही, पार्टी की ओर से जनजागरण अभियान (Public Awareness Campaign) चलाया जाएगा, जिसमें लोगों को अपने वोटर रिकॉर्ड चेक करने के लिए प्रेरित किया जाएगा।
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