बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर महागठबंधन के नेताओं ने शुक्रवार को एक संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस कर चुनाव आयोग और राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने दावा किया कि चुनाव से ठीक पहले नई मतदाता सूची बनाने का फैसला गरीबों और प्रवासी मजदूरों को वोटिंग अधिकार से वंचित करने की साजिश है।
"अचानक वोटर लिस्ट बदलने का क्या मतलब?"
तेजस्वी यादव ने सवाल उठाते हुए कहा कि चुनाव आयोग ने अचानक घोषणा कर दी कि पहले से तैयार वोटर लिस्ट को साइड कर दिया गया है और नई सूची बनाई जाएगी। सवाल यह है कि चुनाव से ठीक पहले यह फैसला क्यों लिया गया? उन्होंने आरोप लगाया कि यह कदम सत्ताधारी दलों को फायदा पहुंचाने के लिए उठाया गया है।
"नीतीश कुमार डरे हुए हैं, इसलिए दिल्ली भागते हैं"
राजद नेता ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए कहा कि नीतीश जी डरे हुए हैं, इसलिए वे बार-बार दिल्ली भागते हैं। उनकी योजना गरीबों के नाम वोटर लिस्ट से हटाने की है ताकि उन्हें चुनाव में हराया जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि नई सूची बनाने में लगने वाले समय को लेकर चुनाव आयोग के पास कोई स्पष्ट जवाब नहीं है।
"90% BLO को वोटर लिस्ट ही नहीं मिली"
तेजस्वी यादव ने बताया कि राज्य के 90% बूथ लेवल ऑफिसर्स (BLO) को अभी तक मतदाता सूची उपलब्ध नहीं कराई गई है। उन्होंने चेतावनी दी कि "पहले सरकार लोगों के नाम वोटर लिस्ट से काटेगी, फिर उनका राशन और पेंशन बंद करेगी। यह सीधे गरीबों के अधिकारों पर हमला है।"
"क्या 1 महीने में 8 करोड़ वोटर्स की लिस्ट बनेगी?"
बिहार में करीब 8 करोड़ मतदाताओं में से 4.76 करोड़ को अब अपनी नागरिकता साबित करनी होगी। तेजस्वी ने पूछा कि क्या यह संभव है कि 1 महीने में इतने बड़े पैमाने पर सत्यापन हो जाएगा? खासकर जब राज्य के 3 करोड़ लोग पलायन कर चुके हैं?
महागठबंधन का एकजुट विरोध
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम ने कहा कि यह महाराष्ट्र जैसी वोटर सप्रेशन की कोशिश है। वहीं, भाकपा (माले) नेता दीपांकर भट्टाचार्य ने इसे "वोटबंदी" बताते हुए कहा कि पहले नोटबंदी हुई, अब वोटबंदी की जा रही है।