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बिहार की राजनीति में त्योहारों के संदेश अब सीधे चुनावी समीकरणों से जुड़ते नजर आ रहे हैं। विजयादशमी और महात्मा गांधी की जयंती के पावन अवसर पर राजद नेता तेजस्वी यादव के संदेशों ने एक साथ धर्म, दर्शन और राजनीति का संगम पेश किया है। विजयादशमी के संदेश में जहां उन्होंने 'सकारात्मक परिवर्तन' की कामना की, वहीं गांधी जयंती पर 'ब्रिटिश साम्राज्य के पांव उखाड़ने' के ऐतिहासिक संदर्भ ने सियासी गलियारों में चर्चा तेज कर दी है।
तेजस्वी यादव ने विजयादशमी के अवसर पर जारी अपने संदेश में कहा कि यह पर्व अन्याय पर न्याय, अधर्म पर धर्म और असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक है। उन्होंने मां दुर्गा से प्रार्थना की कि यह त्योहार समाज में फैली नकारात्मक प्रवृत्तियों का अंत करे और सकारात्मक परिवर्तन लाए। विपक्ष के इस युवा नेता ने अपने संदेश में 'परिवर्तन' शब्द का विशेष रूप से इस्तेमाल किया, जिसे बिहार की वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों में एक स्पष्ट राजनीतिक संकेत माना जा रहा है।
गांधी जयंती के अवसर पर तेजस्वी के संदेश ने और भी स्पष्ट राजनीतिक रुख अपनाया। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर जारी अपने संदेश में उन्होंने महात्मा गांधी को 'सत्य और अहिंसा के सबसे बड़े उपासक' के रूप में याद किया और कहा कि उन्होंने 'सत्याग्रह के रास्ते ब्रिटिश साम्राज्य के भारत से पाँव उखाड़' दिए।
यह राजनीतिक प्रतीकवाद उस समय और महत्वपूर्ण हो जाता है जब बिहार में विधानसभा चुनाव महज कुछ महीनों दूर है। तेजस्वी यादव लगातार दावा करते रहे हैं कि 2025 के चुनावों में बिहार में परिवर्तन की लहर आएगी और 20 साल पुरानी नीतीश सरकार को बदल दिया जाएगा। उनकी इस रणनीति के तहत महागठबंधन की सरकार बनेगी और वे स्वयं मुख्यमंत्री की कुर्सी पर आसीन होंगे।
हाल के दिनों में तेजस्वी यादव ने बिहार अधिकार यात्रा के माध्यम से पूरे राज्य का व्यापक दौरा किया है, जहां उन्होंने वर्तमान सरकार पर विधि व्यवस्था, अपराध और भ्रष्टाचार के मुद्दों पर कड़े प्रहार किए हैं। उनकी इस यात्रा को बिहार में 'परिवर्तन' के नए नारे के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है।
Tejashwi Yadav | Vijayadashami 2025