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बिहार में मतदाता सूची के पुनरीक्षण (Voter List Revision) को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। महागठबंधन के नेता और विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने खुलासा किया है कि उनकी पत्नी राजश्री यादव का नाम वोटर लिस्ट से कट गया है। अब उन्हें नया दस्तावेज बनवाना पड़ सकता है। यह मामला बिहार में चल रही मतदाता सूची सत्यापन प्रक्रिया के बीच सामने आया है, जिस पर महागठबंधन के नेताओं ने सवाल उठाए हैं।
"हमें भी नया डॉक्यूमेंट बनवाना पड़ेगा" – तेजस्वी यादव
तेजस्वी यादव ने बताया कि उनकी पत्नी राजश्री यादव मूल रूप से दिल्ली की रहने वाली हैं। करीब तीन महीने पहले ही उन्होंने बिहार की वोटर लिस्ट में अपना नाम दर्ज कराया था, जिसमें आधार कार्ड को प्रमाण के तौर पर इस्तेमाल किया गया था। लेकिन अब नए नियमों के तहत उनका नाम वोटर लिस्ट से हटा दिया गया है।
तेजस्वी ने कहा कि मेरी पत्नी का एड्रेस बिहार का नहीं था, इसलिए अब हमें यह सोचना पड़ रहा है कि कौन-सा डॉक्यूमेंट मान्य होगा। जो दो महीने पहले वोटर बनी थीं, उन्हें फिर से वोटर बनाना पड़ेगा। यह स्थिति सिर्फ हमारी ही नहीं, बल्कि लाखों लोगों की है।
महागठबंधन ने चुनाव आयोग पर उठाए सवाल
4 जुलाई 2025 को तेजस्वी यादव के नेतृत्व में महागठबंधन के नेताओं ने बिहार चुनाव आयोग के अधिकारियों से मुलाकात की और मतदाता सूची पुनरीक्षण प्रक्रिया पर आपत्ति जताई। उन्होंने इस प्रक्रिया को तत्काल रोकने की मांग की और एक ज्ञापन भी सौंपा।
तेजस्वी ने सवाल उठाया कि क्या आयोग को सिर्फ 11 दस्तावेज मांगने का ही अधिकार है? आधार कार्ड, राशन कार्ड और मनरेगा जॉब कार्ड जैसे प्रमाण पत्र क्यों नहीं मान्य हैं? क्या सरकार का मकसद गरीबों के वोट काटना है?"
उन्होंने आगे कहा कि बिहार के करोड़ों लोग दूसरे राज्यों में काम करते हैं। क्या वे 18 दिनों में अपना सत्यापन करा पाएंगे? क्या सरकार उन्हें वापस बुलाने की कोई व्यवस्था करेगी?"
गरीब मतदाताओं पर पड़ेगा वित्तीय बोझ
महागठबंधन ने चुनाव आयोग की नई प्रक्रिया को गरीब मतदाताओं के लिए मुश्किल बताया है। तेजस्वी ने कहा कि सत्यापन के लिए रंगीन फोटो और दस्तावेजों की फोटोकॉपी जरूरी है। क्या हर गरीब के पास यह सुविधा उपलब्ध है? यह प्रक्रिया उनके लिए वित्तीय बोझ बन रही है।