कभी लालटेन की रोशनी में डूबे गांव, जर्जर सड़कें और कानून-व्यवस्था की जर्जर तस्वीर — यही था 2005 से पहले का बिहार। लेकिन अब 2025 की ओर बढ़ते इस राज्य की छवि बदली हुई है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने दो दशक लंबे कार्यकाल का रिपोर्ट कार्ड पेश करते हुए खुद इस बदलाव की कहानी बताई। संकल्प नामक सरकारी सभागार में हुए इस आयोजन में ‘20 साल विकास के, बदलते बिहार के’ नाम से रिपोर्ट जारी की गई। यह रिपोर्ट न केवल सरकार के कामकाज का लेखा-जोखा है, बल्कि इसे आगामी विधानसभा चुनावों की भूमिका के तौर पर भी देखा जा रहा है।
बिजली: अंधेरे से उजाले की ओर
एक समय था जब पटना में भी 8 घंटे बिजली मिलना बड़ी बात थी। लेकिन अब हालात ऐसे हैं कि गांवों में भी 24 घंटे बिजली सुनिश्चित की जा रही है। साल 2012 में नीतीश ने गांधी मैदान से बिजली सुधार का वादा किया था — उसी दिशा में कदम बढ़ाते हुए 2015 में हर घर बिजली योजना शुरू की गई और 2018 तक अधिकांश घरों तक कनेक्शन पहुंचा दिया गया।
सड़कें और पुल: कनेक्टिविटी में क्रांति
साल 2005 में राज्य में कुल सड़कों की लंबाई 14,468 किमी थी, जो अब बढ़कर 26,000 किमी से ज्यादा हो गई है। गंगा और कोसी नदियों पर बने नए पुलों ने परिवहन और व्यापार को नई गति दी है।
शिक्षा: संख्या नहीं, गुणवत्ता में भी सुधार
2005 में सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज केवल दो थे, अब यह संख्या 38 हो गई है। आईटीआई और पॉलिटेक्निक की संख्या भी कई गुना बढ़ी है। सबसे अहम बात यह कि स्कूल से बाहर रहने वाले बच्चों की संख्या 12.5% से घटकर 1% से भी कम हो गई है।
स्वास्थ्य: इलाज अब गांव तक
पहले जहां प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खाली पड़े रहते थे, अब सरकारी अस्पतालों में रोज हजारों लोग इलाज के लिए आते हैं। दवा और जांच मुफ्त हैं, और 1500 से अधिक एंबुलेंस सेवा में हैं। सरकारी मेडिकल कॉलेजों की संख्या 6 से बढ़कर 12 हो चुकी है।
कानून-व्यवस्था: डर से भरोसे की ओर
शाम होते ही लोग घरों में दुबक जाते थे, अब वही बिहार रात में भी सक्रिय है। पुलिस थानों की संख्या 817 से बढ़कर 1380 हो गई है। पुलिस बल में तीन गुना से अधिक वृद्धि हुई है। कानून का राज और अपराध पर सख्ती, यही इस बदलाव की बुनियाद रहे हैं।