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पटना , वाईबीएन डेस्क । सरकारी स्कूलों की शैक्षणिक व्यवस्था को और अधिक पारदर्शी तथा जवाबदेह बनाने के लिए बिहार के शिक्षा विभाग ने बड़ा कदम उठाया है। अब राज्य के सभी जिला और प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी (DEO और BEO) को हर महीने कम-से-कम 25 स्कूलों का अनिवार्य रूप से औचक निरीक्षण करना होगा।
शैक्षणिक प्रक्रियाओं में कोई ढील देने के मूड में नहीं है विभाग
कई जिलों में निरीक्षण की गति और गुणवत्ता दोनों के असंतोषजनक पाए जाने के बाद शिक्षा विभाग ने यह आदेश जारी किया है। बिहार में DEO, BEO, DPO, PO और समन्वयक स्तर के अधिकारियों को अब हर महीने स्कूलों का अनिवार्य रूप से निरीक्षण करना होगा, जिसकी साप्ताहिक बैठकों में समीक्षा की जाएगी। राज्य सरकार अब शैक्षणिक प्रक्रियाओं में कोई ढील बरतने के मूड में नहीं है। निरीक्षण की रिपोर्टों को आधार पर शिक्षक और विद्यालय प्रबंधन दोनों की जवाबदेही तय की जाएगी। नियमित उपस्थिति, कक्षा संचालन की गुणवत्ता, प्रयोगशालाओं और संसाधनों के रखरखाव और उपयोग निगरानी की जाएगी। होगी। ऐसे में शिक्षकों को अपनी कार्यशैली में पारदर्शिता और अनुशासन लाना ही होगा, अन्यथा विभागीय कार्रवाई से बचना मुश्किल होगा।
46 राजकीय पॉलिटेक्निक में सॉफ्टवेयर के जरिए छात्र और शिक्षक की उपस्थिति होगी दर्ज
बिहार सरकार ने 46 राजकीय पॉलिटेक्निक संस्थानों के लिए भी एक बड़ी पहल की है। विज्ञान, प्रावैधिकी और तकनीकी शिक्षा विभाग द्वारा तैयार किया जा रहा Teaching Management System (TMS) नामक सॉफ्टवेयर 2025-26 शैक्षणिक सत्र से लागू होगा। यह सॉफ्टवेयर प्रत्येक छात्र और शिक्षक की उपस्थिति को डिजिटल रूप में ट्रैक करेगा। साथ ही, कक्षाओं और प्रयोगशालाओं की वास्तविक समय में निगरानी (Real Time Monitoring) की जाएगी। इससे शिक्षण की गुणवत्ता के साथ-साथ पारदर्शिता को भी सुनिश्चित किया जा सकेगा।