नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क: दिल्ली सरकार ने राजधानी में लगातार बिगड़ती वायु गुणवत्ता से निपटने के लिए एक अहम फैसला लिया है। अब राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में स्थित सभी ऊंची वाणिज्यिक, संस्थागत और आतिथ्य (हॉस्पिटैलिटी) से जुड़ी इमारतों पर ‘एंटी-स्मॉग गन’ लगाना अनिवार्य कर दिया गया है। इस संबंध में पर्यावरण और वन विभाग ने एक आधिकारिक निर्देश जारी किया है, जो राजधानी में वायु प्रदूषण के नियंत्रण के लिए एक महत्वपूर्ण नीति कदम माना जा रहा है।
निर्मित क्षेत्रफल के आधार पर तय होगी 'गन' की संख्या
पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने जानकारी दी कि हर इमारत पर कितनी एंटी-स्मॉग गन लगाई जाएंगी, यह उसके निर्मित क्षेत्रफल पर निर्भर करेगा।
सरकार द्वारा तय मानक इस प्रकार हैं
- 3,000 वर्ग मीटर से अधिक और भूतल + 5 मंजिल या उससे ऊंची इमारतें इस आदेश के दायरे में आएंगी।
- 10,000 वर्ग मीटर से कम क्षेत्र वाली इमारतों में कम से कम 3 एंटी-स्मॉग गन अनिवार्य होंगी।
- 10,001 से 15,000 वर्ग मीटर तक – कम से कम 4 गन
- 15,001 से 20,000 वर्ग मीटर तक – कम से कम 5 गन
- 20,001 से 25,000 वर्ग मीटर तक – कम से कम 6 गन
- 25,000 वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्र के लिए हर अतिरिक्त 5,000 वर्ग मीटर पर 1 अतिरिक्त गन लगानी होगी।
किन पर लागू होंगे ये नियम
यह आदेश मॉल, ऑफिस बिल्डिंग्स, होटल, शैक्षणिक संस्थान और अन्य वाणिज्यिक परिसरों पर लागू होगा, बशर्ते वे: भूतल + 5 मंजिल या उससे ऊंची हों और 3,000 वर्ग मीटर से अधिक निर्मित क्षेत्र वाली हों।
छह महीने की समय सीमा
सरकार ने भवन मालिकों को 6 महीने का समय दिया है ताकि वे एंटी-स्मॉग गन स्थापित कर सकें। साथ ही, शहरी स्थानीय निकायों को आदेश दिया गया है कि वे संबंधित इमारतों की पहचान करें, निर्देशों का प्रचार करें और उनके अनुपालन की निगरानी करें।
प्रदूषण नियंत्रण में पड़ेगा असर
मंत्री सिरसा ने कहा, "इस साल हम चाहते हैं कि दिल्ली के लोग साफ हवा में फर्क महसूस करें। सरकार हर मोर्चे पर प्रदूषण से लड़ रही है और नागरिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने उम्मीद जताई कि यह कदम दिल्ली की वायु गुणवत्ता को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, खासकर सर्दियों के मौसम में, जब PM 2.5 और PM 10 जैसे सूक्ष्म प्रदूषक तत्वों का स्तर खतरनाक रूप से बढ़ जाता है।