नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क
दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा के आवास पर आग लगने के दौरान बड़ी मात्रा में नकदी मिलने के बाद न्यायपालिका में पारदर्शिता को लेकर बहस तेज हो गई है। इस मुद्दे पर सड़क से लेकर संसद तक चर्चा हो रही है। पूरे देश में 25 उच्च न्यायालयों के कुल 763 न्यायाधीशों में से केवल 57 ने ही अपनी संपत्ति की जानकारी वेबसाइट पर सार्वजनिक की है।
न्यायपालिका में पारदर्शिता की अनदेखी
वर्षों पहले न्यायपालिका में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालयों ने एक प्रस्ताव पारित किया था। इसके तहत न्यायाधीशों को स्वेच्छा से अपनी संपत्ति का ब्योरा वेबसाइट पर उपलब्ध कराना था। हालांकि, देश की सर्वोच्च अदालत और अधिकांश उच्च न्यायालयों ने इस नियम का पालन नहीं किया। सुप्रीम कोर्ट की फुल कोर्ट ने संकल्प लिया था कि सभी न्यायाधीशों को पदभार ग्रहण करने के बाद और महत्वपूर्ण संपत्ति अधिग्रहण करने पर अपनी संपत्ति का विवरण मुख्य न्यायाधीश के समक्ष प्रस्तुत करना होगा। यह भी तय किया गया था कि न्यायाधीश स्वेच्छा से सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपनी संपत्ति की घोषणा करेंगे।
मुख्य न्यायाधीश को देना होता है अनिवार्य विवरण
सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट के अनुसार, वर्तमान में मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) सहित किसी भी मौजूदा न्यायाधीश की संपत्ति का विवरण उपलब्ध नहीं है। इसी तरह, देश के अधिकांश उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों ने भी अपनी संपत्ति की जानकारी वेबसाइट पर सार्वजनिक नहीं की है।
केवल 7% न्यायाधीशों ने दी संपत्ति की जानकारी
देशभर के उच्च न्यायालयों की वेबसाइटों के विश्लेषण से पता चलता है कि केवल 7% न्यायाधीशों ने अपनी संपत्ति की जानकारी सार्वजनिक की है।
- हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट: 12 में से 11 न्यायाधीशों ने अपनी संपत्ति घोषित की है।
- पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट: 53 में से 29 न्यायाधीशों ने संपत्ति का ब्योरा दिया है।
- दिल्ली हाईकोर्ट: 39 में से केवल 7 न्यायाधीशों ने जानकारी सार्वजनिक की है।
- छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट:16 में से मात्र 1 न्यायाधीश ने संपत्ति की जानकारी दी है।
- कर्नाटक हाईकोर्ट: 50 में से सिर्फ 1 न्यायाधीश ने संपत्ति की घोषणा की है।
- केरल हाईकोर्ट:44 में से केवल 3 न्यायाधीशों ने जानकारी साझा की है।
- मद्रास हाईकोर्ट:65 में से मात्र 5 न्यायाधीशों ने अपनी संपत्ति घोषित की है।
18 हाईकोर्ट के किसी भी जज ने नहीं दी जानकारी
देश के 25 उच्च न्यायालयों में से 18 उच्च न्यायालयों के किसी भी न्यायाधीश ने अपनी संपत्ति की जानकारी सार्वजनिक नहीं की है। इनमें शामिल हैं-इलाहाबाद, पटना, रांची, आंध्र प्रदेश, बॉम्बे, कोलकाता, गुवाहाटी, गुजरात, जम्मू-कश्मीर, मध्य प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, ओडिशा, राजस्थान, सिक्किम, तेलंगाना, त्रिपुरा और उत्तराखंड।
जस्टिस वर्मा की घोषणा पर सवाल
दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा, जिनके आवास से नकदी बरामद हुई थी, ने संपत्ति की घोषणा संबंधी एक फाइल वेबसाइट पर अपलोड की है। हालांकि, वह पीडीएफ फाइल पूरी तरह खाली पाई गई है।
वेबसाइट पर जानकारी सार्वजनिक करना अनिवार्य नहीं
सुप्रीम कोर्ट के सूत्रों के अनुसार, शीर्ष अदालत में न्यायाधीशों को हर साल अपनी संपत्ति का विवरण मुख्य न्यायाधीश के कार्यालय में जमा करना अनिवार्य है। हालांकि, इसे वेबसाइट पर सार्वजनिक करना अनिवार्य नहीं है।