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दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री पंकज सिंह बवाना के महर्षि वाल्मीकि अस्पताल का औचक निरीक्षण करते हुए | यंग भारत न्यूज
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री पंकज सिंह आज शुक्रवार 27 जून 2025 को बवाना स्थित महर्षि वाल्मीकि अस्पताल का औचक निरीक्षण किया। इस दौरे का मकसद अस्पताल की मौजूदा स्थिति, मरीजों को मिल रही सुविधाओं और स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता का जायजा लेना था। क्या यह दौरा महज एक औपचारिकता है या इससे वाकई अस्पताल की तस्वीर बदलने वाली है? मरीजों और उनके परिजनों की उम्मीदें इस दौरे से जुड़ गई हैं, क्योंकि लंबे समय से इस अस्पताल में बुनियादी सुविधाओं और स्टाफ की कमी को लेकर शिकायतें मिल रही थीं। मंत्री ने बंद कमरे में मीटिंग भी की है। अब क्या अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की कोई नई किरण जगी है?
दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री पंकज सिंह का बवाना के महर्षि वाल्मीकि अस्पताल का दौरा, एक ऐसे समय में हुआ है जब राजधानी की स्वास्थ्य व्यवस्था पर लगातार सवाल उठ रहे हैं। मंत्री ने अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड, ओपीडी, ऑपरेशन थिएटर और अन्य विभागों का बारीकी से निरीक्षण किया। उन्होंने मरीजों और उनके साथ आए परिजनों से सीधे बात करके उनकी समस्याओं को जानने की कोशिश की। कई मरीजों ने स्टाफ की कमी, साफ-सफाई की समस्या और दवाइयों की अनुपलब्धता जैसी शिकायतें कीं। खबर है कि मंत्री ने अस्पताल के अधिकारियों के साथ बंद कमरे में मीटिंग भी की है।
इस दौरान मंत्री ने अस्पताल प्रशासन को तुरंत प्रभाव से इन कमियों को दूर करने के निर्देश दिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि किसी भी कीमत पर मरीजों को मिलने वाली स्वास्थ्य सेवाओं से समझौता नहीं किया जा सकता। पंकज सिंह ने विशेष रूप से डॉक्टर्स और पैरामेडिकल स्टाफ की उपस्थिति सुनिश्चित करने और अस्पताल में दवाओं की पर्याप्त उपलब्धता बनाए रखने पर जोर दिया। यह पहला मौका नहीं है जब किसी मंत्री ने अस्पताल का दौरा किया हो, लेकिन इस बार मंत्री का रुख काफी सख्त नजर आया।
VIDEO | Delhi Health Minister Pankaj Singh (@PankajSinghBJP) inspects Maharishi Valmiki Hospital in Bawana.
— Press Trust of India (@PTI_News) June 27, 2025
(Full video available on PTI Videos - https://t.co/n147TvrpG7) pic.twitter.com/ZxzDzoDQ18
क्या सिर्फ दौरा काफी है या होगा ठोस बदलाव?
सवाल उठता है कि क्या केवल एक निरीक्षण से सब कुछ बदल जाएगा? महर्षि वाल्मीकि अस्पताल, उत्तरी दिल्ली के एक बड़े हिस्से को कवर करता है और यहां हर दिन सैकड़ों मरीज इलाज के लिए आते हैं। इन मरीजों में ज्यादातर गरीब और मध्यम वर्ग से होते हैं, जिनके पास निजी अस्पतालों में महंगा इलाज कराने का विकल्प नहीं होता। ऐसे में सरकारी अस्पतालों की जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है। पिछले कुछ समय से इस अस्पताल में डॉक्टर और नर्सों की कमी के कारण मरीजों को घंटों इंतजार करना पड़ता है।
निरीक्षण के दौरान, मंत्री ने कुछ मरीजों से पूछा कि उन्हें इलाज मिलने में कितना समय लगा और क्या उन्हें सभी आवश्यक दवाएं मिलीं। कई मरीजों ने बताया कि उन्हें घंटों इंतजार करना पड़ा और कुछ दवाएं बाहर से खरीदनी पड़ीं। मंत्री ने इस पर गहरी नाराजगी व्यक्त की और अधिकारियों से जवाब-तलब किया। उन्होंने यह भी देखा कि अस्पताल परिसर में साफ-सफाई की स्थिति संतोषजनक नहीं थी, जिस पर उन्होंने तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए।
स्टाफ की कमी और बुनियादी सुविधाओं का अभाव
अस्पताल में स्टाफ की कमी एक पुरानी समस्या है। डॉक्टरों के खाली पद, नर्सों की कमी और अन्य पैरामेडिकल स्टाफ की अनुपलब्धता सीधे तौर पर मरीजों की देखभाल को प्रभावित करती है। इस मुद्दे पर मंत्री ने कहा कि सरकार इस समस्या को गंभीरता से ले रही है और जल्द ही भर्ती प्रक्रिया शुरू की जाएगी। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि अस्पताल में आधुनिक उपकरणों की कमी को भी पूरा किया जाएगा ताकि मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएँ मिल सकें।
पंकज सिंह ने अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) के साथ एक बैठक भी की, जिसमें उन्होंने अस्पताल के बजट, उपलब्ध संसाधनों और भविष्य की योजनाओं पर चर्चा की। मंत्री ने CMO को एक विस्तृत रिपोर्ट सौंपने को कहा, जिसमें अस्पताल की सभी कमियों और उन्हें दूर करने के लिए उठाए जाने वाले कदमों का उल्लेख हो। यह रिपोर्ट उन्हें एक सप्ताह के भीतर जमा करनी होगी।
मरीजों की उम्मीदें और सरकार की चुनौती
इस औचक निरीक्षण से उन हजारों मरीजों में एक नई उम्मीद जगी है जो इस अस्पताल पर निर्भर हैं। वे चाहते हैं कि मंत्री के दौरे के बाद वास्तविक बदलाव आए, न कि यह सिर्फ कागजी कार्रवाई तक सीमित रहे। सरकार के लिए यह एक बड़ी चुनौती है कि वह कैसे दिल्ली के सरकारी अस्पतालों की गिरती साख को फिर से स्थापित करे। स्वास्थ्य मंत्री के तौर पर पंकज सिंह को न सिर्फ महर्षि वाल्मीकि अस्पताल, बल्कि दिल्ली के सभी सरकारी अस्पतालों की स्थिति में सुधार लाना होगा।
यह सिर्फ बवाना के अस्पताल की बात नहीं है, बल्कि दिल्ली के कई अन्य सरकारी अस्पतालों की भी कमोबेश यही स्थिति है। चिकित्सा सुविधाओं का अभाव, स्टाफ की कमी और साफ-सफाई जैसी बुनियादी समस्याएं आम हैं। ऐसे में मंत्री का यह दौरा एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है, बशर्ते कि इसके बाद ठोस कार्रवाई हो। सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके आदेशों का पालन हो और मरीजों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल मिल सके।
क्या आपको लगता है कि मंत्री के इस दौरे से अस्पताल की स्थिति में सुधार आएगा? या यह सिर्फ एक राजनीतिक दिखावा है?
भविष्य की दिशा: क्या हैं सरकार के कदम?
पंकज सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि सरकार लोगों को सस्ती और सुलभ स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि अस्पताल की सभी कमियों को चरणबद्ध तरीके से दूर किया जाएगा और इसके लिए आवश्यक बजट भी आवंटित किया जाएगा। विशेष रूप से, उन्होंने अस्पताल में चौबीसों घंटे दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने और आपातकालीन सेवाओं को मजबूत करने का वादा किया। यह देखने वाली बात होगी कि उनके निर्देश कितनी जल्दी जमीन पर उतरते हैं।
इस दौरे के बाद, दिल्ली सरकार को स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए एक व्यापक योजना बनानी होगी। इसमें न केवल इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास शामिल होना चाहिए, बल्कि डॉक्टरों और अन्य चिकित्सा कर्मचारियों की पर्याप्त भर्ती, उनकी ट्रेनिंग और अस्पताल प्रबंधन में सुधार पर भी ध्यान देना होगा। तभी जाकर दिल्ली के सरकारी अस्पताल वास्तव में जनता के लिए वरदान साबित हो सकेंगे। महर्षि वाल्मीकि अस्पताल का यह दौरा, दिल्ली की स्वास्थ्य व्यवस्था में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है।
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