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Delhi में खत्म होगा 20 लाख मीट्रिक टन कूड़े का पहाड़, Landfill Sites पर बढ़ता बोझ सरकार की बड़ी चुनौती

दिल्ली की रिहायशी कॉलोनियों और व्यावसायिक इलाकों से प्रतिदिन निकलने वाले 10 से 12 हज़ार मीट्रिक टन कचरे के प्रबंधन की ज़िम्मेदारी एमसीडी के पास है। इस कचरे के निस्तारण के लिए सालों से काम चल रहा है।

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Jyoti Yadav
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Delhi will end the mountain of 20 lakh metric tonnes of garbage, the increasing burden on landfill sites is a big challenge for the government
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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क |राजधानी दिल्ली को कचरे के ढेर से मुक्ति दिलाने के प्रयासों के तहत दिल्ली के वन एवं पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा और दिल्ली के मेयर राजा इकबाल सिंह ने गुरूवार, 15 मई को ओखला लैंडफिल साइट का दौरा किया। दोनों नेताओं ने मौके पर जाकर कूड़ा प्रबंधन की स्थिति और सफाई कार्यों का जायजा लिया। इसके साथ ही दोनों नेताओं ने दावा किया कि साल के अंत तक कूड़े का ढ़ेर खत्म हो जाएगा। 

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विकसित दिल्ली के लिए बड़ा कदम

दिल्ली के वन एवं पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा, ".पीएम मोदी का विज़न था जिस पर रेखा गुप्ता काम कर रही हैं। साल 2025 के अक्टूबर महीने तक यहां(ओखला लैंडफिल साइट) से 20 लाख मीट्रिक टन कूड़ा हटाने का काम हम करेंगे और यह पहाड़ आपको लगभग दिखना बंद हो जाएगा। आगामी पीढ़ी को (दिल्ली में) इसे(कूड़े के पहाड़) देखने का मौका नहीं मिलेगा। प्रधानमंत्री मोदी की संकल्प था दिल्ली को विकसित बनाने का और यह विकसित दिल्ली की ओर हमारा एक कदम है।"

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जल्द ही कूड़े के पहाड़ भी खत्म हो जाएंगे

दिल्ली के मेयर राजा इकबाल सिंह ने कहा, "आज एक संयुक्त निरीक्षण किया गया। हमने देखा कि यहां काम कैसा चल रहा है क्योंकि हमने दिल्ली की जनता से स्वच्छ दिल्ली का वादा किया था। हमारे सभी मंत्री सड़कों पर (निरीक्षण करते)नजर आ रहे हैं।. हम कहां पर खड़े हैं क्योंकि हमारी जनता के प्रति जवाबदेही है और हम आज यहां से बहुत संतुष्ट होकर जा रहे हैं। मैं वादा करता हूं दिल्ली की जनता से कि दिल्ली निगम बोर्ड अच्छे से काम करेगा और जल्द ही कूड़े के पहाड़ भी खत्म हो जाएंगे।"

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2026 से पहले इस लैंडफिल को खत्म कर दिया जाएगा

ओखला लैंडफिल साइट के दौरे पर दिल्ली के मेयर और भाजपा सांसद रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कहा, ".मेरे लोकसभा क्षेत्र (दक्षिण दिल्ली) में यह सबसे बड़ी समस्या थी। मुझे यह जानकर खुशी हुई कि नगर निगम के अधिकारियों ने मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा और दिल्ली के मेयर को बताया कि 2026 से पहले इस लैंडफिल को खत्म कर दिया जाएगा और इस क्षेत्र को ग्रीन एरिया के तौर पर विकसित किया जाएगा। यह प्रधानमंत्री मोदी और दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता का सपना है।"

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लैंडफिल साइट्स पर बढ़ता बोझ 

दरअसल, दिल्ली की रिहायशी कॉलोनियों और व्यावसायिक इलाकों से प्रतिदिन निकलने वाले 10 से 12 हज़ार मीट्रिक टन कचरे के प्रबंधन की ज़िम्मेदारी एमसीडी के पास है। विशेषज्ञों के अनुसार, इस ठोस कचरे का लगभग 32% हिस्सा जैविक होता है, जिससे खाद बनाई जा सकती है। वहीं बाकी हिस्से में 6.6% कागज, 1.5% प्लास्टिक, 2.5% धातु, और निर्माण सामग्री शामिल होती है, जो पुनर्चक्रण के योग्य हैं। बता दें कि दिल्ली और इससे सटे इलाकों में तीन प्रमुख लैंडफिल साइट्स है, जिसमें  ओखला, गाजीपुर और भलस्वा शामिल है जो कि पहले से ही भरा हुआ है। ओखला लैंडफिल साइट पर प्रतिदिन 3,000 मीट्रिक टन से अधिक कूड़ा फेंका जा रहा है। इस कचरे के निस्तारण के लिए सालों से काम चल रहा है, साल 2008 में यहां कचरे से बिजली बनाने वाला संयंत्र स्थापित किया गया लेकिन ये संयंत्र आधे कचरे को भी ठिकाने नहीं लगा पाया। 

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