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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। प्राइवेट स्कूलों द्वारा आर्थिक रूप से कमजोर (ईडब्लूएस) और वंचित वर्ग (डीजी) पर प्राइवेट पब्लिशर्स की महंगी किताबें थोपे जाने पर दिल्ली हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। बुधवार को एक अहम याचिका की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने इस संबंध में नोटिस जारी किया है। दरअसल याचिका में मांग की गई है कि राजधानी के निजी अनऐडेड स्कूल EWS और DG के छात्रों को महंगे प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबें और अतिरिक्त स्कूल सामग्री खरीदने पर मजबूर करते हैं। मुख्य न्यायाधीश डी.के. उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने इस मामले में दिल्ली सरकार, केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) और राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (NCERT) से जवाब मांगा है।
अगली सुनवाई 12 नवंबर को होगी
बता दें कि यह याचिका जस्मीत सिंह साहनी द्वारा दाखिल की गई है। याचिका में तर्क दिया गया है कि निजी स्कूलों को एनसीईआरटी (NCERT) किताबों का ही उपयोग करना चाहिए, लेकिन इसके बावजूद छात्रों को 10,000 रुपये से अधिक कीमत की किताबें और किट्स खरीदने पर मजबूर किया जाता है। इससे अभिभावकों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ता है और इसके चलते कई बार उन्हें बच्चों को स्कूल से निकालना तक पड़ जाता है।सरकार की मौजूदा व्यवस्था के तहत दिल्ली सरकार केवल 5,000 रुपये की प्रतिपूर्ति करती है, जबकि किताबों व सामग्री का खर्च इससे कई गुना अधिक होता है।
बैग का वजन बच्चे के वजन का 10% से कम हो
याचिका में कहा गया कि यह प्रावधान शिक्षा का अधिकार (RTE) अधिनियम की धारा 12(1)(e) और संविधान के अनुच्छेद 21ए का उल्लंघन है, जो बच्चों को निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा की गारंटी देता है। याचिका में यह भी दलील दी गई कि अतिरिक्त किताबों और सामग्री से 2020 की स्कूल बैग नीति का उल्लंघन होता है, जिसमें बैग का वजन बच्चे के शरीर के वजन का 10% से अधिक नहीं होना चाहिए। फिलहाल छात्र 6-8 किलो तक भारी बैग ढोने को मजबूर हैं, जिससे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है।
kids school bag pain | Delhi High Court News
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