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Delhi News : पुल मिठाई हादसा - मनोज की मौत ने दिल्ली की जर्जर इमारतों की पोल खोल दी!

दिल्ली के पुल मिठाई इलाके में एक तीन मंजिला इमारत ढहने से मनोज शर्मा की मौत हो गई। यह घटना पुरानी इमारतों की सुरक्षा और प्रशासनिक लापरवाही पर गंभीर सवाल उठाती है। पुलिस जांच जारी है, लेकिन जरूरत है ठोस कदम उठाने की ताकि भविष्य में ऐसे हादसे रोके जा सकें।

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Ajit Kumar Pandey
Delhi News : पुल मिठाई हादसा - मनोज की मौत ने दिल्ली की जर्जर इमारतों की पोल खोल दी! | यंग भारत न्यूज

Delhi News : पुल मिठाई हादसा - मनोज की मौत ने दिल्ली की जर्जर इमारतों की पोल खोल दी! | यंग भारत न्यूज Photograph: (X.com)

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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । आज शुक्रवार 11 जुलाई 2025 की सुबह का वक्त, दिल्ली के पुल मिठाई इलाके में हमेशा की तरह चहल-पहल थी। अचानक एक जोरदार धमाका हुआ और देखते ही देखते एक तीन मंजिला इमारत ताश के पत्तों की तरह ढह गई। इस हृदय विदारक हादसे में एक व्यक्ति, मनोज शर्मा, की दर्दनाक मौत हो गई, जबकि कई परिवार बेघर हो गए। यह घटना जर्जर इमारतों की समस्या और प्रशासन की लापरवाही पर एक बड़ा सवाल खड़ा करती है।

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राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के पुल मिठाई स्थित टोकरी वालान, बाड़ा हिंदू राव में आज सुबह एक दिल दहला देने वाली घटना घटी। यहां एक पुरानी तीन मंजिला इमारत अचानक ढह गई, जिसमें भूतल पर तीन दुकानें और पहली मंजिल पर गोदाम थे। यह इमारत आज़ाद मार्केट के पास थी और इसमें बैग व कैनवास के कपड़ों की दुकानें संचालित होती थीं। मलबे के नीचे दबकर मनोज शर्मा नामक एक व्यक्ति ने अपनी जान गंवा दी। यह सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि दिल्ली की उन पुरानी और जर्जर इमारतों की कहानी है, जो हर पल मौत का साया बनकर खड़ी हैं।

हादसे के तुरंत बाद, बचाव दल और पुलिस मौके पर पहुंचे। मलबे को हटाने का काम युद्धस्तर पर शुरू किया गया। स्थानीय लोगों के मुताबिक, इमारत काफी पुरानी थी और लंबे समय से उसकी मरम्मत नहीं हुई थी। क्या इस हादसे को टाला जा सकता था? यह सवाल अब हर किसी के मन में घूम रहा है।

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कब तक खतरे की जद में रहेंगे लोग?

दिल्ली में पुरानी और जर्जर इमारतों की भरमार है। कई इलाकों में तो गलियां इतनी संकरी हैं कि बचाव कार्य भी मुश्किल हो जाता है। पुल मिठाई की घटना ने एक बार फिर इस गंभीर समस्या की ओर ध्यान खींचा है। लोग दशकों से इन खस्ताहाल मकानों में रहने को मजबूर हैं, क्योंकि उनके पास कोई और विकल्प नहीं है।

सुरक्षा मानकों की अनदेखी: अक्सर देखा जाता है कि पुरानी इमारतों की सुरक्षा मानकों की अनदेखी की जाती है। नियमों का पालन नहीं होता और नतीजतन ऐसे हादसे होते रहते हैं।

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प्रशासनिक उदासीनता: स्थानीय निकायों और प्रशासन पर भी सवाल उठते हैं। क्या ऐसी इमारतों की नियमित जांच की जाती है? अगर हां, तो फिर मरम्मत या पुनर्विकास क्यों नहीं होता?

कमजोर नींव और संरचना: दिल्ली की कई पुरानी इमारतों की नींव और संरचना बेहद कमजोर हो चुकी है। मामूली बारिश या कंपन भी उन्हें ढहा सकता है।

मनोज शर्मा की मौत सिर्फ एक आंकड़ा नहीं, बल्कि कई परिवारों के लिए चेतावनी है। उनके जाने से उनके परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। अब समय आ गया है कि सरकार और प्रशासन इस गंभीर मुद्दे पर ठोस कदम उठाएं।

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क्या कहते हैं स्थानीय निवासी?

पुल मिठाई के स्थानीय निवासी इस घटना से सदमे में हैं। उनमें से कई ने बताया कि उन्होंने कई बार प्रशासन को इमारत की खराब हालत के बारे में सूचित किया था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। "हमें डर लगता था कि कभी भी कुछ भी हो सकता है," एक बुजुर्ग निवासी ने बताया। "हमने कई बार शिकायत की, लेकिन कोई नहीं सुना।"

यह दुखद सच्चाई है कि जब तक कोई बड़ा हादसा नहीं हो जाता, तब तक नींद नहीं खुलती। इस तरह की घटनाएं लोगों के मन में डर और असुरक्षा की भावना पैदा करती हैं। क्या दिल्ली सरकार को ऐसी इमारतों को चिन्हित कर उनकी मरम्मत या खाली कराने के लिए कोई अभियान नहीं चलाना चाहिए?

दिल्ली पुलिस ने इस मामले में बीएनएस की धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। आगे की जांच की जाएगी और उम्मीद है कि दोषियों को सजा मिलेगी। लेकिन सवाल यह है कि क्या सिर्फ कानूनी कार्रवाई से ऐसे हादसों को रोका जा सकता है?

जरूरत है एक व्यापक योजना की, जिसमें पुरानी और जर्जर इमारतों की पहचान, उनकी मरम्मत के लिए फंड और अगर जरूरी हो तो उनके पुनर्विकास की व्यवस्था हो। लोगों को सुरक्षित आवास उपलब्ध कराना सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए। जब तक ठोस कदम नहीं उठाए जाएंगे, तब तक दिल्ली के लोग ऐसे हादसों के साये में जीने को मजबूर रहेंगे। दिल्ली इमारत ढहने की यह घटना एक सबक है, जिसे अनदेखा नहीं किया जा सकता।

मनोज शर्मा की मौत एक दुखद रिमाइंडर है कि हमें बुनियादी सुरक्षा पर ध्यान देने की कितनी जरूरत है। इस घटना ने एक बार फिर शहरी नियोजन और आपदा प्रबंधन की खामियों को उजागर किया है। अब देखना यह है कि दिल्ली सरकार इस चुनौती से कैसे निपटती है।

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