नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क
दिल्ली दंगों 2020 में कथित भूमिका को लेकर दिल्ली के कानून मंत्री व भाजपा नेता कपिल मिश्रा की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। ताजा मामले में मंगलवार (1 अप्रैल) को राउज एवेन्यू कोर्ट ने कपिल मिश्रा के खिलाफ केस दर्ज करने का आदेश दिया है। अदालत ने कहा कि पुलिस की ओर से दिए गए तथ्य के अनुसार कपिल मिश्रा को इलाके में देखा गया था। आगे की जांच होनी चाहिए।
बता दें, दंगों के पांच साल बाद, अदालत ने भाजपा के कपिल मिश्रा, जो अब दिल्ली के कानून मंत्री हैं, के खिलाफ पहली एफआईआर का आदेश दिया। दिल्ली पुलिस ने पहले भाजपा नेता के खिलाफ एफआईआर का विरोध करते हुए कहा था कि मिश्रा की भूमिका की पहले ही जांच की जा चुकी है और कुछ भी आपत्तिजनक नहीं मिला है।
एफआईआर दर्ज करने की अर्जी मंजूर
राउज़ एवेन्यू कोर्टने उत्तर पूर्वी दिल्ली दंगों में उनकी कथित भूमिका के संबंध में दिल्ली के कानून मंत्री कपिल मिश्रा के खिलाफ आगे की जांच का निर्देश दिया। कोर्ट ने मिश्रा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की अर्जी मंजूर कर ली गई है।
कोर्ट ने कहा कि दिल्ली पुलिस द्वारा रखी गई सामग्री के आधार पर उसकी मौजूदगी कर्दम पुरी इलाके में थी और संज्ञेय अपराध पाया गया है, जिस पर जांच की जरूरत है।
हत्या के आरोपी 12 लोग बरी
वहीं दूसरी तरफ दिल्ली की एक अदालत ने 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों के दौरान दो व्यक्तियों की हत्या के आरोपी 12 लोगों को बरी कर दिया और कहा कि रिकॉर्ड में ऐसा कोई सबूत नहीं है, जिससे पता चल सके कि उनमें से कोई भी आरोपी भीड़ का सदस्य था। गोकलपुरी पुलिस थाने में आरोपियों के खिलाफ दर्ज दो मामलों की सुनवाई कर रहे अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचला ने कहा कि इनमें से एक लोकेश कुमार सोलंकी द्वारा दो हत्याओं की बात कबूल करने के संबंध में व्हाट्सएप पर की गई बातचीत ठोस सबूत नहीं है।