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Delhi में लागू होगा 'सेफ सिटी प्रोजेक्ट' : जानें — क्या है यह नई तकनीक?

गृह मंत्रालय ने दिल्ली में 'सेफ सिटी प्रोजेक्ट' को मंजूरी दी है, जिसमें फेसियल रिकग्निशन सिस्टम का इस्तेमाल होगा। यह तकनीक सीसीटीवी कैमरों के जरिए अपराधियों की पहचान करेगी, लेकिन निजता को लेकर चिंताएं भी बढ़ गई हैं।

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Ajit Kumar Pandey
Delhi में लागू होगा 'सेफ सिटी प्रोजेक्ट' : जानें — क्या है यह नई तकनीक? | यंग भारत न्यूज

Delhi में लागू होगा 'सेफ सिटी प्रोजेक्ट' : जानें — क्या है यह नई तकनीक? | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)

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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । दिल्ली पुलिस अब एक नई तकनीक के साथ शहर की सुरक्षा को और मजबूत करने जा रही है। गृह मंत्रालय ने "सेफ सिटी प्रोजेक्ट" को हरी झंडी दे दी है, जिसके तहत दिल्ली में एक इंटीग्रेटेड कमांड - कंट्रोल - कम्युनिकेशन और कंप्यूटर सेंटर (C4I) स्थापित किया जाएगा। इस प्रोजेक्ट का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है फेसियल रिकग्निशन सिस्टम (Facial Recognition System) का इस्तेमाल। यह सिस्टम सीसीटीवी कैमरों के जरिए संदिग्ध व्यक्तियों और अपराधियों की पहचान करने में पुलिस की मदद करेगा।

दिल्ली में "सेफ सिटी प्रोजेक्ट" के तहत अब चेहरा पहचान प्रणाली (Facial Recognition System) का इस्तेमाल होगा। इस प्रोजेक्ट का मकसद अपराधियों पर नजर रखना है। क्या यह तकनीक आपकी सुरक्षा को बढ़ाएगी या आपकी निजता (Privacy) पर सेंध लगाएगी? जानिए दिल्ली पुलिस के इस नए कदम के हर पहलू को जो आपकी जिंदगी से जुड़ा है।

दिल्ली की सुरक्षा: क्या है फेसियल रिकग्निशन सिस्टम?

हाल ही में गृह मंत्रालय ने दिल्ली पुलिस के लिए "सेफ सिटी प्रोजेक्ट" को मंजूरी दी है। यह प्रोजेक्ट दिल्ली को और सुरक्षित बनाने के लिए एक बड़ा कदम है। इसका मुख्य उद्देश्य एक इंटीग्रेटेड कमांड - कंट्रोल - कम्युनिकेशन और कंप्यूटर सेंटर (C4I) स्थापित करना है। इसके साथ ही, दिल्ली के हर कोने में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे जो इस C4I से जुड़े होंगे। लेकिन, इस प्रोजेक्ट का सबसे खास हिस्सा है फेसियल रिकग्निशन सिस्टम (चेहरा पहचान प्रणाली)। यह तकनीक कैसे काम करेगी और इसके क्या फायदे और नुकसान हो सकते हैं?

कैसे काम करेगा फेसियल रिकग्निशन सिस्टम?

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फेसियल रिकग्निशन सिस्टम (Facial Recognition System) एक ऐसी तकनीक है जो किसी व्यक्ति के चेहरे की पहचान करती है। यह सिस्टम पहले से स्टोर किए गए डेटाबेस में मौजूद चेहरों से लाइव फुटेज में दिख रहे चेहरों का मिलान करता है। दिल्ली पुलिस इस तकनीक का इस्तेमाल संदिग्ध व्यक्तियों और अपराधियों की पहचान के लिए करेगी। उदाहरण के लिए अगर किसी अपराधी का चेहरा पुलिस के डेटाबेस में मौजूद है तो यह सिस्टम सीसीटीवी फुटेज में उस चेहरे को पहचानकर पुलिस को अलर्ट कर देगा।

Delhi में लागू होगा 'सेफ सिटी प्रोजेक्ट' : जानें — क्या है यह नई तकनीक? | यंग भारत न्यूज
Delhi में लागू होगा 'सेफ सिटी प्रोजेक्ट' : जानें — क्या है यह नई तकनीक? | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)

फेसियल रिकग्निशन सिस्टम के संभावित फायदे

अपराधियों की तेजी से पहचान: यह सिस्टम पुलिस को अपराधियों को जल्दी पकड़ने में मदद कर सकता है। खासकर भीड़-भाड़ वाले इलाकों या सार्वजनिक स्थानों पर।

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लापता लोगों को ढूंढना: यह तकनीक लापता हुए लोगों को ढूंढने में भी सहायक हो सकती है। अगर किसी लापता व्यक्ति की तस्वीर डेटाबेस में है तो उसे सीसीटीवी फुटेज के जरिए ढूंढ़ा जा सकता है।

सुरक्षा बढ़ाना: सार्वजनिक स्थानों जैसे रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड और एयरपोर्ट पर यह सिस्टम सुरक्षा को कई गुना बढ़ा सकता है।

क्या फेसियल रिकग्निशन सिस्टम निजता के लिए खतरा है?

जहां एक ओर इस तकनीक के कई फायदे हैं वहीं दूसरी ओर इसके कई खतरे भी हैं। कई विशेषज्ञ और मानवाधिकार कार्यकर्ता इस तकनीक के इस्तेमाल पर सवाल उठा रहे हैं।

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निजता का उल्लंघन: आलोचकों का कहना है कि यह तकनीक हर नागरिक की निगरानी करती है जो उनकी निजता का उल्लंघन है।

डेटा का दुरुपयोग: अगर यह डेटाबेस सुरक्षित नहीं है तो इसका दुरुपयोग हो सकता है। किसी की भी निजी जानकारी गलत हाथों में जा सकती है।

गलत पहचान का खतरा: कई बार यह सिस्टम गलत पहचान भी कर सकता है जिससे किसी निर्दोष व्यक्ति को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

दिल्ली पुलिस का स्टैंडिंग ऑर्डर: पारदर्शिता की गारंटी?

इन चिंताओं को देखते हुए दिल्ली पुलिस ने 9 जून 2022 को एक स्टैंडिंग ऑर्डर (Standing Order No. Tech. & PI/04/2022) जारी किया है। यह ऑर्डर C4I के काम को नियंत्रित करेगा। यह एक महत्वपूर्ण कदम है लेकिन, क्या यह निजता की रक्षा के लिए काफी है? इस पर बहस जारी है। यह देखना होगा कि पुलिस इस संवेदनशील तकनीक का इस्तेमाल किस तरह करती है और क्या कोई कड़े नियम लागू किए जाते हैं।

दिल्ली में "सेफ सिटी प्रोजेक्ट" और फेसियल रिकग्निशन सिस्टम का आना एक महत्वपूर्ण बदलाव है। यह तकनीक अपराधियों पर नकेल कसने में प्रभावी साबित हो सकती है लेकिन, इसके साथ ही निजता और डेटा सुरक्षा को लेकर भी कई सवाल उठते हैं। यह सरकार और पुलिस की जिम्मेदारी है कि वे इस तकनीक का इस्तेमाल जिम्मेदारी से करें और यह सुनिश्चित करें कि किसी भी नागरिक की निजता का उल्लंघन न हो।

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