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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क।दिल्ली विधानसभा में स्कूल फी रेगुलेशन बिल पारित होने के बाद स्कूल प्रबंधन की मनमानी पर क्या हकीकत में रोक लग पाएगी? भाजपा इस बिल को लेकर काफी उत्साहिस है और शिक्षा में क्रांतिकारी सुधार लाने का दावा कर रही है। जबकि दूसरी ओर इस बिल का आम आदमी पार्टी ने विरोध किया है। दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री और इस समय नेता प्रतिपक्ष आतिशी ने भाजपा सरकार पर उद्योगपतियों और प्राइवेट स्कूलों को फायदा पहुंचाने का गंभीर आरोप लगाया है।
आर्थिक 'जबरन वसूली' पर रोक लगेगी: सूद
उल्लेखनीय है कि इस बिल के लिए दिल्ली विधानसभा का मानसून सत्र बुलाया गया था। इसमें शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने विधानसभा में स्कूल फी रेगुलेशन बिल पेश किया। उस पेश करते हुए सूद ने कहा कि शिक्षाविद् डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने कहा था कि शिक्षा का व्यवसायीकरण नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा, "पहले अभिभावक अदालत जाते थे, नेता अपने एसी कमरों में बैठते थे और आम आदमी पार्टी शिक्षा में क्रांतिकारी सुधार लाने का दावा करती थी। अब अभिभावक स्कूल प्रशासन के साथ मिलकर फीस तय करेंगे। हम अभिभावकों और छात्रों की मानसिक, शारीरिक और आर्थिक 'जबरन वसूली' को रोकने और उसकी भरपाई के लिए इस नीति को पूर्वव्यापी रूप से लागू करेंगे।"
शिक्षा को मौलिक अधिकार वाजपेयी ने बनाया
उन्होंने आगे कहा कि शिक्षा को मौलिक अधिकार अटल बिहारी वाजपेयी की भाजपा सरकार ने ही बनाया था। दिल्ली के अभिभावकों को पिछले 11 साल से स्कूलों की फीस बढ़ाने में जो मनमानी झेलनी पड़ रही थी वह अब बंद होगी। दिल्ली के मंत्री पंकज सिंह ने कहा, "विपक्ष केवल बहाना करता है। यह विधेयक स्कूली बच्चों के अभिभावकों के लाभ के लिए है। वे दिल्ली के लोगों के साथ नहीं खड़े हैं और उन्हें केवल वॉकआउट करने का बहाना चाहिए। दिल्ली के लोगों के लिए जो भी सबसे अच्छा होगा, वह किया जाएगा।" बता दें कि प्राइवेट स्कूलों द्वारा बिना शिक्षा निदेशालय की मंजूरी के मनमाने तरीके से फीस बढ़ाने की शिकायतें लगातार दिल्ली सरकार को मिल रही थीं। कई अभिभावकों ने दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता से मिलकर अवैध रूप से फीस बढ़ोतरी की शिकायत की थी।
क्या है बिल में प्रावधान?
स्कूल फी रेगुलेशन बिल के क्लॉज़ 5 के मुताबिक किसी भी प्राइवेट स्कूल को फीस बढ़ाने के लिए स्कूल लेवल की 11 सदस्यों की समिति की मंजूरी लेनी होगी। जिसमें 5 अभिभावक होंगे, 1 चेयरमैन होगा, जिसे स्कूल मैनेजमेंट तय करेगा , प्रिंसिपल होगी, 3 टीचर होगी और 1 ऑब्ज़र्वर होगा जिसे जिला प्रशासन हर स्कूल में नामित करेगा। साथ ही इस 11 सदस्य समिति के सामने स्कूल बताएगा की फीस क्यों बढ़नी चाहिए जिसके बाद यह समिति फीस बढ़ोतरी पर बहुमत से निर्णय लेगी।
बिल के मुताबिक, बढ़ी हुई फीस तीन सालों के लिए लॉक होगी यानी कोई भी स्कूल 3 साल तक फीस नहीं बढ़ा सकता है। साथ ही अगर बढ़ी फीस पर अभिभावकों को आपत्ति होगी तो अभिभावक जिला स्तरीय समिति से अपील करेंगे। जिसका अध्यक्ष शिक्षाविद होगा। 6 सदस्य समिति के चार्टर्ड अकाउंटेंट के अलावा शिक्षा विभाग का एडिशनल सेक्रेटरी भी होगा और जिला स्तरीय समिति के निर्णय के खिलाफ अभिभावक शिक्षा निदेशक की अध्यक्षता वाली समिति में अपील कर सकते हैं।
आम आदमी पार्टी ने कहा, उद्योगपतियों को मिलेगा फायदा?
बिल में दिल्ली सरकार ने प्रावधान रखा है कि स्कूल की समिति और जिला समिति के निर्णय या फिर किसी सदस्य के ख़िलाफ़ अभिभावक या फिर स्कूल सिविल कोर्ट नहीं जा सकते है और ना ही सिविल कोर्ट कोई निर्णय दे सकता है और सिविल कोर्ट के सारे अधिकार शिक्षा निदेशालय के पास होंगे। बीजेपी सरकार द्वारा लाए गए इस बिल का आज आम आदमी पार्टी ने विरोध किया और दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री और इस समय नेता प्रतिपक्ष आतिशी ने भाजपा सरकार पर उद्योगपतियों और प्राइवेट स्कूलों को फायदा पहुंचाने का आरोप लगाया है।
बिल सेलेक्ट कमेटी भेजा जाए: आतिशी
दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री और एवं नेता प्रतिपक्ष आतिशी ने कहा कि भाजपा सरकार ने बिल में स्कूली समिति में जो व्यवस्था तय की है वो स्कूल के फेवर में है साथ ही अपील का रास्ता भी अभिभावकों के लिए चुनौतीपूर्ण होगा। इस कारण आम आदमी पार्टी की मांग है कि बिल को दिल्ली विधानसभा की सेलेक्ट कमेटी में भेजा जाए। इसके अलावा कोर्ट के मुद्दे पर आतिशी ने कहा कि जिस तरह से सिविल कोर्ट में अपील करने से रोकने का प्रावधान बिल में है ऐसे में भाजपा की मंशा साफ़ दिख रही है.