नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । दिल्ली के कालकाजी स्थित भूमिहीन कैंप में DDA की अतिक्रमण हटाओ मुहिम से हज़ारों ज़िंदगियां बेघर होने के कगार पर हैं। गरीबों के इन आशियानों पर बुलडोजर चल रहा है, जिससे उनका सब कुछ छिनने का डर सता रहा है। यह कार्रवाई उन लोगों के लिए एक बड़ा झटका है, जो सालों से यहां अपनी ज़िंदगी बसर कर रहे थे। इस दर्दनाक स्थिति पर देशभर की निगाहें टिकी हैं।
दिल्ली की चमक-धमक और ऊंची इमारतों के बीच, एक ऐसी भी हकीकत है जो दिल को झकझोर देती है। हम बात कर रहे हैं कालकाजी के पास स्थित भूमिहीन कैंप की, जहां आज बुधवार 11 जून 2025 सुबह से ही DDA का बुलडोजर गरज रहा है। यह बुलडोजर सिर्फ ईंट और पत्थरों को नहीं तोड़ रहा, बल्कि उन गरीब और बेसहारा लोगों के सपनों, उनकी उम्मीदों और उनकी पूरी दुनिया को तोड़ रहा है, जिन्होंने सालों से इस छोटी सी जगह को अपना आशियाना बनाया था।
पुलिस बल के साथ अतिक्रमण स्थल पर पहुंचा की टीम
सुबह का वक़्त था, जब अचानक शोरगुल के बीच DDA की टीम भारी पुलिस बल के साथ भूमिहीन कैंप पहुंची। लोगों को कुछ समझ आता, उससे पहले ही बुलडोजर अपना काम शुरू कर चुका था। आंखों के सामने देखते ही देखते कच्चे-पक्के मकान, छोटी-छोटी दुकानें, और वे सभी निशानियाँ ध्वस्त होने लगीं, जिन्हें लोगों ने खून-पसीने से सींचा था। यहां रहने वाले बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, सबकी आँखों में डर और लाचारी साफ झलक रही थी। उनकी बेबसी और आंसू देख कर किसी का भी दिल पसीज जाएगा।
भूमिहीन कैंप दशकों से दिल्ली के एक बड़े हिस्से में रोजी-रोटी कमाने आए गरीब मजदूरों का ठिकाना रहा है। इनमें से कई ऐसे हैं जिन्होंने अपनी पूरी ज़िंदगी यहीं गुजार दी। वे यहीं बड़े हुए, यहीं उनके बच्चे पैदा हुए, और यहीं उन्होंने अपना भविष्य देखा। अब अचानक एक झटके में उनसे यह सब कुछ छीन लिया जा रहा है। सवाल ये उठता है कि ये लोग कहां जाएंगे? कहां रहेंगे? और कैसे अपनी ज़िंदगी की गाड़ी को फिर से पटरी पर लाएंगे?
DDA के अफसर बोले — अवैध अतिक्रमण पर हो रही कार्रवाई
DDA का कहना है कि यह कार्रवाई अवैध अतिक्रमण हटाने के लिए की जा रही है। नियम और कानून अपनी जगह हैं, लेकिन क्या मानवीय संवेदनाओं का भी कोई स्थान नहीं? क्या इन लोगों को पुनर्वास का कोई विकल्प नहीं दिया जा सकता था? यह सिर्फ एक इमारत का ढहाया जाना नहीं है, यह उन सपनों का ढहाया जाना है जो इन लोगों ने छोटी-छोटी खुशियों के साथ बुने थे।
सोशल मीडिया पर भी यह मुद्दा गर्मा रहा है। लोग इस अतिक्रमण हटाओ अभियान पर सवाल उठा रहे हैं और सरकार से इन बेघर हुए लोगों के लिए कोई ठोस कदम उठाने की अपील कर रहे हैं। कई स्वयंसेवी संगठन भी इन लोगों की मदद के लिए आगे आ रहे हैं, लेकिन समस्या इतनी बड़ी है कि सिर्फ कुछ संगठनों के प्रयास से इसे हल कर पाना मुश्किल है।
यह घटना हमें सोचने पर मजबूर करती है कि विकास की इस दौड़ में क्या हम इंसानी रिश्तों और संवेदनाओं को पीछे छोड़ते जा रहे हैं? क्या इन दिल्लीवासियों के दर्द को महसूस करने वाला कोई नहीं? हमें उम्मीद है कि प्रशासन इस मामले पर संवेदनशीलता से विचार करेगा और इन लोगों को एक गरिमापूर्ण जीवन जीने का अवसर देगा। इन बेघरों को न्याय मिलना चाहिए।
क्या आप इस अतिक्रमण हटाओ अभियान से सहमत हैं? बेघर हुए दिल्लीवासियों के लिए आपके क्या विचार हैं? कमेंट करें और अपनी राय दें।
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