नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । दिल्ली में पड़ रही भीषण गर्मी अब केवल असहज नहीं, बल्कि जानलेवा बनती जा रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण हर साल तापमान बढ़ रहा है, जिससे हीट स्ट्रोक जैसे गंभीर स्वास्थ्य खतरे उत्पन्न हो रहे हैं। ऐसे में लोगों को अपनी दिनचर्या में बदलाव लाकर सतर्क रहने की जरूरत है।
दिल्ली और उत्तर भारत इस समय भीषण लू की चपेट में हैं। तापमान 45 डिग्री के पार जा चुका है, और हालात दिन-ब-दिन बदतर होते जा रहे हैं। जलवायु परिवर्तन के कारण गर्मी का यह प्रकोप अब केवल असहजता तक सीमित नहीं रहा, बल्कि सीधे-सीधे जीवन के लिए खतरा बन चुका है।
आपातकाल मान रहे हैं। TERI (The Energy and Resources Institute) में पृथ्वी विज्ञान और जलवायु परिवर्तन प्रभाग की एसोसिएट निदेशक सुरुचि भड़वाल कहती हैं कि “हर साल तापमान में हो रही निरंतर वृद्धि अब खतरनाक स्तर तक पहुंच चुकी है। खासकर दोपहर 12 से 3 बजे के बीच की गर्मी बेहद खतरनाक हो सकती है।”
हीट स्ट्रोक से ऐसे बचें, जानिए जरूरी उपाय
हीट स्ट्रोक एक मेडिकल इमरजेंसी है, जिसमें शरीर का तापमान 40°C से ऊपर चला जाता है। यह मस्तिष्क, हृदय और किडनी को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है। यदि समय रहते इलाज न मिले, तो यह अचानक मृत्यु तक का कारण बन सकता है।
इससे बचाव के लिए विशेषज्ञ निम्न उपायों की सिफारिश करते हैं:
- दोपहर 12 से 3 बजे तक घर के बाहर निकलने से बचें।
- शरीर को हाइड्रेटेड रखें – दिनभर पर्याप्त पानी, नींबू पानी, छाछ आदि का सेवन करें।
घर को ठंडा बनाए रखने के उपाय करें, जैसे –
- खिड़कियों पर गीले जूट के बोरे लटकाना
- कमरे में पानी की बाल्टी या गीले कपड़े रखना
- हल्के रंग के सूती कपड़े पहनें और सिर को ढककर रखें।
- बुजुर्गों, बच्चों और गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।
जलवायु परिवर्तन का असली असर अब दिख रहा है
दिल्ली की यह जानलेवा गर्मी जलवायु परिवर्तन का संकेत मात्र नहीं, बल्कि एक गंभीर चेतावनी है। वैज्ञानिकों का कहना है कि जैसे-जैसे ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन बढ़ता जा रहा है, गर्मी की तीव्रता और अवधि दोनों में इजाफा होता रहेगा।
विशेषज्ञ इस ओर इशारा कर रहे हैं कि अगर अभी से जागरूकता नहीं लाई गई, तो आने वाले सालों में यह लू और भी खतरनाक रूप ले सकती है।
सरकार और नागरिक – दोनों की ज़िम्मेदारी
सरकार को चाहिए कि वह हीट एक्शन प्लान को मजबूती से लागू करे, शहरी गरीबों, मजदूरों और सड़क किनारे रहने वाले लोगों के लिए कूलिंग सेंटर बनाए जाएं, जल की पर्याप्त उपलब्धता हो और लोगों को समय रहते सूचित किया जाए।
वहीं नागरिकों को भी चाहिए कि वे सावधानी बरतें, खुद की और अपने आस-पड़ोस की सुरक्षा का ध्यान रखें।
गर्मी से डरे नहीं, लेकिन पूरी सतर्कता बरतें
दिल्ली की गर्मी अब केवल परेशानी नहीं, जान का संकट बन चुकी है। ऐसे में जरूरी है कि हम लापरवाही न करें। सतर्कता और जागरूकता ही हमें इस संकट से बचा सकती है।
क्या आप मानते हैं कि जलवायु परिवर्तन का असर अब जानलेवा हो चुका है? अपनी राय नीचे कमेंट करें।
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