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दिल्ली जलभराव, सीवर समस्या, मंत्री प्रवेश वर्मा | यंग भारत
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।दिल्ली में मानसून से पहले जलभराव का संकट गहराता जा रहा है। मंत्री प्रवेश वर्मा ने आज गुरूवार 5 जून 2025 को खुलासा किया है कि बीते 10 वर्षों में कोई बड़ी सीवर लाइन परियोजना शुरू नहीं हुई, जिससे साउथ दिल्ली की कई कॉलोनियां और गांव अब भी सीवर विहीन हैं। उन्होंने दावा किया कि मानसून से पहले ज़रूरी कदम उठाए जा रहे हैं, लेकिन क्या इतने कम वक्त में हालात सुधर पाएंगे?
दिल्ली—देश की राजधानी है। एक तरफ मेट्रो, एक्सप्रेसवे और हाईटेक इन्फ्रास्ट्रक्चर, वहीं दूसरी ओर हर बरसात में घुटनों तक पानी और गलियों में बदबूदार जलभराव। इस बार भी कहानी कुछ खास नहीं बदली है। लेकिन, इस बार दिल्ली सरकार के मंत्री प्रवेश वर्मा की बयानबाज़ी ने मामले को और चर्चा में ला दिया है।
मंत्री प्रवेश वर्मा का बड़ा बयान: सीवर प्रोजेक्ट 10 साल से ठप
दिल्ली के मंत्री और दक्षिणी दिल्ली के सांसद प्रवेश वर्मा ने मीडिया से बात करते हुए बड़ा दावा किया—"पिछले 10 वर्षों में दिल्ली में कोई भी बड़ी सीवर लाइन परियोजना शुरू नहीं हुई।"
यह बयान न केवल मौजूदा हालात की पोल खोलता है, बल्कि आने वाले मानसून में दिल्ली वालों की मुश्किलें बढ़ने की भी चेतावनी देता है।
उन्होंने बताया कि साउथ दिल्ली के कई गांव और कॉलोनियां अब भी सीवर लाइन से वंचित हैं। लोगों ने अपनी स्तर पर अस्थायी समाधान किए हैं, लेकिन वह स्थायी नहीं हैं।
#WATCH | Delhi Minister Parvesh Varma conducts an on-site inspection of the drain near Saket Gurudwara. pic.twitter.com/9SDPNWV442
— ANI (@ANI) June 5, 2025
दिल्ली का पुराना दर्द: जलभराव, सीवर और लापरवाही
दिल्ली में हर साल बरसात के दौरान जलभराव की समस्या दोहराई जाती है। इसकी वजह है—पुरानी और टूटी-फूटी सीवर लाइनें, नालियों की सफाई में लापरवाही और तेजी से फैलता शहरीकरण।
मुख्य इलाके जो जलभराव से प्रभावित होते हैं:
- संगम विहार
- ओखला
- महरौली
- देवली
- बदरपुर
- छत्तरपुर
- त्रिलोकपुरी
- गाजीपुर गांव
इन इलाकों में या तो सीवर लाइनें हैं ही नहीं, या फिर वे इतनी पुरानी हैं कि बरसात का दबाव सह नहीं पातीं।
क्या केवल बयानबाज़ी काफी है?
प्रवेश वर्मा ने आगे कहा कि सभी ज़िम्मेदार अधिकारी मौजूद हैं और जल्दी ही समाधान निकाला जाएगा। वे खुद हर प्रभावित जगह जाएंगे और जो भी समस्या सामने आएगी उसका हल निकालेंगे।
उन्होंने यह भी कहा—"हम मानसून आने से पहले जितना हो सके, उतना करने की कोशिश करेंगे।"
लेकिन सवाल ये उठता है—क्या इतने कम समय में इतने बड़े काम पूरे किए जा सकते हैं?
जनता की आवाज़: “हर साल वही हाल”
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि हर साल बरसात से पहले अधिकारी सर्वे करने आते हैं, वादे किए जाते हैं लेकिन नतीजा ज़ीरो रहता है।
त्रिलोकपुरी निवासी मोहम्मद शाहिद कहते हैं:
"बारिश आते ही हमारे घर के सामने सड़क पर पानी भर जाता है। नालियां ओवरफ्लो हो जाती हैं। सीवर की कोई स्थायी व्यवस्था नहीं है।"
गाजीपुर गांव की दिव्या और गुड़िया कहती हैं:
"हम अपने बच्चों को स्कूल भेजने से डरते हैं क्योंकि रास्ते में जलभराव होता है। कई बार सीवर का गंदा पानी घरों में घुस जाता है।"
क्या कहती है सरकार?
प्रवेश वर्मा के मुताबिक, सभी ज़िम्मेदार एजेंसियां सक्रिय हैं और वे मानसून से पहले फोकस एरिया में तात्कालिक समाधान के प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि:
- नालियों की सफाई तेज़ी से कराई जा रही है।
- जहां सीवर लाइन नहीं है, वहां वैकल्पिक व्यवस्थाएं बनाई जा रही हैं।
- जल निकासी की निगरानी के लिए टीमें लगाई गई हैं।
लेकिन बड़ी तस्वीर डरावनी है...
दिल्ली जैसे शहर में जहां रोज़ लाखों लीटर पानी बहता है, वहां सीवर व्यवस्था का इस कदर पिछड़ा होना न केवल विकास के दावों पर सवाल उठाता है, बल्कि यह स्वास्थ्य संकट को भी जन्म देता है।
विपक्ष ने इसे लेकर सरकार पर निशाना साधा है। आम आदमी पार्टी के स्थानीय नेता ने कहा—"10 साल से कोई सीवर योजना नहीं शुरू हुई, ये खुद भाजपा नेता बोल रहे हैं। फिर जनता किससे उम्मीद करे?"
आगे की रणनीति क्या है?
दिल्ली जल बोर्ड और नगर निगम को आपसी समन्वय के साथ इन इलाकों में स्थायी समाधान निकालना होगा। केवल अस्थायी सफाई और कैमरा-सर्वे से कुछ नहीं होगा।
दिल्ली की तस्वीर बदलनी होगी
दिल्ली में सीवर लाइन की कमी और जलभराव की समस्या अब कोई सामान्य नगर निगम मुद्दा नहीं रहा। यह अब नागरिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और जीवन स्तर का बड़ा सवाल बन चुका है। और अगर इस पर तत्काल ध्यान नहीं दिया गया, तो हर साल दिल्ली को मानसून से पहले डरना पड़ेगा।
आप क्या सोचते हैं? क्या दिल्ली की सीवर समस्या इतनी गंभीर है? कमेंट करके अपनी राय ज़रूर बताएं।
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