नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । दिल्ली की राजनीति में इन दिनों 'आपातकाल' शब्द एक नए सियासी दांवपेच का हिस्सा बन गया है। 25 जून को भाजपा ने 'संविधान हत्या दिवस' के रूप में मनाया, तो आम आदमी पार्टी (AAP) ने पलटवार करते हुए आज गुरूवार 26 जून 2025 को भाजपा पर ही आपातकाल जैसी कार्रवाईयों का आरोप लगा दिया। इस गरमागरम बहस में सवाल उठ रहे हैं कि क्या इतिहास खुद को दोहरा रहा है, या फिर यह सिर्फ एक चुनावी हथियार है?
आपातकाल: कल और आज का सच?
भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने 25 जून को आपातकाल की 49वीं वर्षगांठ को 'संविधान हत्या दिवस' के रूप में मनाया। इस अवसर पर भाजपा ने देशभर में कई प्रदर्शनियां लगाईं, जिनमें 1975 के आपातकाल के दौरान की घटनाओं को दर्शाया गया। दिल्ली में भी ऐसी ही एक प्रदर्शनी लगाई गई, जिसमें कांग्रेस सरकार द्वारा किए गए कथित अत्याचारों को उजागर किया गया। भाजपा का आरोप है कि कांग्रेस ने उस दौरान देश के लोकतंत्र का गला घोंटा था।
लेकिन इस पर आम आदमी पार्टी (AAP) ने तीखा पलटवार किया है। AAP की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने भाजपा पर ही आपातकाल जैसी नीतियों को अपनाने का आरोप लगाया। भारद्वाज ने भाजपा की प्रदर्शनी में दिखाए गए बिंदुओं का हवाला देते हुए कहा कि भाजपा खुद वही काम कर रही है, जिसका आरोप वह दूसरों पर लगाती है।
AAP ने भी लगाए प्रदर्शनी, बताया क्या होता है आपातकाल
सौरभ भारद्वाज ने आरोप लगाया कि प्रदर्शनी में दिखाया गया है कि कैसे आपातकाल के दौरान झुग्गियों को ध्वस्त किया गया था, और भाजपा भी ठीक यही कर रही है। उन्होंने वजीरपुर में हाल ही में लगभग 300 झुग्गियों को गिराने का उदाहरण दिया और कहा कि यह सब आपातकाल की वर्षगांठ पर ही हुआ है। यह एक ऐसा कदम है जो गरीबों को बेघर करता है और उनकी जिंदगी को मुश्किल बनाता है।
इसके अलावा, भारद्वाज ने आपातकाल के दौरान राजनीतिक विरोधियों को जेल में डालने की बात पर भी भाजपा को घेरा। उन्होंने कहा कि जिस तरह कांग्रेस ने उस समय अपने विरोधियों को जेल में डाला था, उसी तरह भाजपा ने भी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और सांसद संजय सिंह को जेल भेजा है। उन्होंने पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम का भी नाम लिया। यह आरोप लगाया जा रहा है कि यह सब राजनीतिक प्रतिशोध के तहत किया गया है और यह लोकतंत्र के लिए खतरनाक है।
भारद्वाज ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि आपातकाल का एक और संकेत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध लगाना था, और भाजपा भी यही कर रही है। उनके अनुसार, अगर कोई सरकार से सवाल करता है, तो उसे केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI), प्रवर्तन निदेशालय (ED) और आयकर विभाग (Income Tax) जैसी एजेंसियों का इस्तेमाल करके दबाया जाता है. यह लोकतंत्र में स्वतंत्र आवाजों को दबाने का एक तरीका है, जो बेहद चिंताजनक है।
यह सिर्फ दिल्ली का मामला नहीं है, बल्कि देश के कई हिस्सों से ऐसी खबरें आती रही हैं जहां विपक्ष के नेताओं पर केंद्रीय एजेंसियों का शिकंजा कसा गया है। इससे यह सवाल उठता है कि क्या सचमुच देश में एक अघोषित आपातकाल चल रहा है, या फिर ये केवल सत्ता और विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप का खेल है?
इस पूरे घटनाक्रम पर सोशल मीडिया पर भी गरमागरम बहस छिड़ी हुई है। लोग अपने-अपने विचार व्यक्त कर रहे हैं और यह जानने को उत्सुक हैं कि क्या वास्तव में 1975 के आपातकाल जैसी स्थिति फिर से बन रही है, या फिर यह राजनीतिक बयानों की एक सामान्य कड़ी है? इस पूरे मुद्दे पर आम जनता की राय बंटी हुई है। कुछ लोग भाजपा के तर्कों से सहमत हैं, तो कुछ लोग आम आदमी पार्टी के आरोपों को सही मान रहे हैं।
इस राजनीतिक संग्राम में आप किसके साथ हैं? क्या आपको लगता है कि देश में आपातकाल जैसी स्थिति बन रही है, या यह सिर्फ विपक्ष का आरोप है? अपनी राय हमें कमेंट बॉक्स में बताएं और इस चर्चा में शामिल हों!
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